गणतंत्र समारोह में पीएम मोदी की टोपी की हुई खास चर्चा

PM paying homage to the martyrs at the National War Memorial, on the occasion of the 73rd Republic Day Parade 2022, in New Delhi on January 26, 2022.

नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली के राजपथ पर भव्य समारोह का आयोजन किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इंडिया गेट पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खास तरह की टोपी और गमछा पहना हुआ था। इसके साथ ही, उन्होंने गणतंत्र दिवस के अवसर पर खास अंदाज में तिरंगे को सलामी दी। गणतंत्र दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड की टोपी पहनी हुई थी। इस टोपी पर ब्रह्मकमल छपा हुआ था। साथ ही, उन्होंने मणिपुर का गमछा पहना हुआ था। गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने जिस अंदाज में तिरंगे की सलामी की, वह नौसेना को समर्पित था।

रिपोर्ट्स के अनुसार, सेना के तीनों अंगों की सलामी के अंदाज अलग-अलग होते हैं। 73वें गणतंत्र दिवस समारोह में तिरंगा फहराने के दौरान पीएम मोदी ने नौसेना के अंदाज में सलामी दी। नौसेना में सलामी हमेशा दाहिने हाथ के पंजे को थोड़ा आगे की ओर झुकाकर दी जाती है। गणतंत्र दिवस के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने कहा कि मैं देशवासियों को 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। हमें आज के दिन उन वीर जवानों और शहीदों की शहादत को याद रखना चाहिए, जिसकी वजह से हमें देश की आज़ादी मिली। मैं उन सब को श्रद्धांजली अर्पित करता हूं। गणतंत्र दिवस के मौके पर बुधवार को यहां राजपथ पर आयोजित मुख्य समारोह के दौरान दुनिया ने भारत के सैन्य शौर्य को देखा। परेड की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रगान के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और 21 तोपों की सलामी दी गई। परेड की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सलामी लेने के साथ हुई। परेड की कमान दूसरी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी, परेड कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्रा संभाल रहे थे। वहीं दिल्ली क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल आलोक काकर परेड के सेकेंड-इन-कमांड थे। सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों के गौरवान्वित विजेता इन दोनों सैन्य अधिकारियों का अनुसरण कर रहे थे। इनमें परमवीर चक्र और अशोक चक्र के विजेता शामिल हैं।

परेड में तत्कालीन ग्वालियर लांसर्स की वर्दी में पहली टुकड़ी 61 कैवलरी थी, जिसका नेतृत्व मेजर मृत्युंजय सिंह चौहान कर रहे थे। यह कैवेलरी दुनिया में एकमात्र सक्रिय सेवारत हॉर्स कैवेलरी रेजिमेंट है। इसे 1 अगस्त, 1953 को छह राज्य बलों की घुड़सवार इकाइयों को मिलाकर स्थापित किया था। भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व 61 कैवेलरी के माउंटेड कॉलम, 14 मैकेनाइज्ड कॉलम, छह मार्चिंग टुकड़ियों और आर्मी एविएशन के एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टरों (एएलएच) ने किया।

एक टैंक पीटी-76 और सेंचुरियन (टैंक वाहक पर) और दो एमबीटी अर्जुन एमके-1, एक एपीसी टोपास और बीएमपी-1 (ऑन टैंक ट्रांसपोटर्र), एक 75/24 टोड गन (वाहन पर) और दो धनुष गन सिस्टम, एक पीएमएस ब्रिज और दो सर्वत्र ब्रिज सिस्टम, एक एचटी-16 (वाहन पर) और दो तरंग शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, एक टाइगर कैट मिसाइल और दो आकाश मिसाइल सिस्टम मैकेनाइज्ड कॉलम में मुख्य आकर्षण रहे।

राजपूत रेजिमेंट, असम रेजिमेंट, जम्मू-कश्मीर लाइट रेजिमेंट, सिख लाइट रेजिमेंट, सैन्य आयुध कोर और पैराशूट रेजिमेंट सहित सेना के कुल छह मार्चिंग दस्ते परेड में शामिल हुए। मद्रास रेजिमेंटल सेंटर का संयुक्त बैंड, कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर, मराठा लाइट रेजिमेंटल सेंटर, जम्मू-कश्मीर लाइट रेजिमेंटल सेंटर, आर्मी मेडिकल कोर सेंटर और स्कूल, 14 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर, आर्मी सप्लाई कोर सेंटर और कॉलेज, बिहार रेजिमेंटल सेंटर और सेना आयुध वाहिनी केंद्र ने भी सलामी मंच के समक्ष मार्च पास्ट किया।