सभी को नहीं लगेगी बूस्टर डोज
नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ही कोरोना की तीसरी खुराक यानी बूस्टर डोज पर अपनी पॉलिस पर फिर से विचार कर सकती है। दरअसल, वैज्ञानिक विशेषज्ञों को तीसरी खुलाक को लेकर संदेश है। एक्सपर्स का मानना है कि तीसरी खुराक कुछ विशेष आयु वर्ग के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रह सकती है।
फिलहाल, बूस्टर डोज हेल्थकेयर वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स और पहले से किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित 60 साल से ऊपर के लोगों को लग रहा है। बूस्टर के लिए फिर से सोचना होगा। बहुत सोच समझकर नीति में बदलाव करना होगा।
उन्होंने कहा कि बूस्टर ने किसी भी देश में मामलों में मदद नहीं की है। ऐसे में हम आंख बंद करके दूसरे देशों की तरह उनके रास्ते पर नहीं चल सकते हैं। हमें अपने स्थानीय महामारी वैज्ञानियों को सुनना होगा और विज्ञान को भी सुनना होगा और हमारे निर्णय उस आकलन पर आधारित होने चाहिए।
बताते चलें कि टीकाकरण के लिए बने नेशनल टेक्निकल अडवाइजरी ग्रुपऔर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बीच मंगलवार को एक हाई लेवल मीटिंग हुई थी जिसमें बूस्टर डोज नीति पर चर्चा हुई। डब्ल्यूएचओ और एनटीएजीआई के सदस्यों के विशेषज्ञों ने उन देशों से वास्तविक दुनिया के आंकड़ों का आकलन किया है जहां बूस्टर शॉट दिए हैं। इसके अलावा स्थानीय आंकड़ों का भी अध्ययन किया जा रहा है। विशेषज्ञ संक्रमण के पैटर्न, वायरस के व्यवहार, उभरते हुए रूपों की भी समीक्षा कर रहे हैं।
स्वास्थ्य, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को 10 जनवरी के बाद से कुल 86.87 लाख “प्रिकॉशन्स डोज” दी गई हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, लगभग तीन करोड़ स्वास्थ्य और फ्रंटलाइन वर्कर्स के बूस्टर शॉट्स पाने के योग्य होने का अनुमान है। इसके अलावा, देश भर में 60 से अधिक आयु वर्ग के 2.75 करोड़ लोगों के होने का अनुमान है।