स्वर कोकिला लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन, देश में 2 दिन का राष्ट्रीय शोक

नई दिल्ली/मुंबई। ‘भारत रत्न’ स्वर कोकिला लता मंगेशकर का रविवार यानी 6 फरवरी 2022 की सुबह निधन हो गया है. लता मंगेशकर पिछले कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थीं। लता मंगेशकर ने 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। लता मंगेशकर के निधन पर देश में 2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य दिग्गजों ने लता को श्रद्धांजलि दी है। ‘भारत की नाइटिंगेल’ के नाम से दुनियाभर में मशहूर लता मंगेशकर ने करीब 5 दशक तक हिंदी सिनेमा में फीमेल प्‍लेबैक सिंगिंग में एकछत्र राज किया।

भारतीय सिनेमा की बेहतरीन गायिकाओं में शुमार लता मंगेशकर ने 1942 में महज 13 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने कई भारतीय भाषाओं में अब तक 30 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं। लता को भारत की ‘सुर साम्राज्ञी’ के नाम से जाना जाता है। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

जनवरी में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में वह न्यूमोनिया से पीड़ित हो गईं। हालत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उनकी हालत में सुधार के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट भी हट गया था। लेकिन 5 फरवरी को उनकी स्थिति बिगड़ने लगी और उन्हें फिर से वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। आखिरकार, 6 फरवरी को ‘स्वर कोकिला’ ने आखिरी सांस ली।

लता के निधन पर भारत समेत दुनियाभर की दिग्‍गज हस्तियों ने शोक जताया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने लता मंगेशकर के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “लता दीदी के गानों ने कई तरह के इमोशन्स को उभारा। उन्होंने दशकों तक भारतीय फिल्म जगत के बदलावों को करीब से देखा। फिल्मों से परे, वह हमेशा भारत के विकास के बारे में भावुक थीं। वह हमेशा एक मजबूत और विकसित भारत देखना चाहती थी।” उन्होंने कई तस्‍वीरें ट्वीट करते हुए लिखा, ‘दयालु और सबका ध्‍यान रखने वाली लता दीदी हमें छोड़ गई हैं। वह हमारे देश में ऐसी शून्‍यता छोड़ गई हैं जो कभी भर नहीं सकेगी।’

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लिखा, ‘उनका जाना देश के लिए अपूरणीय क्षति है। वे सभी संगीत साधकों के लिए सदैव प्रेरणा थी। लता दीदी प्रखर देशभक्त थी। उनका जीवन अनेक उपलब्धियों से भरा रहा है। लता जी हमेशा ही अच्छे कामों के लिए हम सभी को प्रेरणा देती रही हैं। भारतीय संगीत में उनका योगदान अतुलनीय है। 30 हजार से अधिक गाने गाकर उनकी आवाज ने संगीत की दुनिया को सुरों से नवाजा है। लता दीदी बेहद ही शांत स्वभाव और प्रतिभा की धनी थी।’

शिवसेना के प्रवक्‍ता एवं राज्‍यसभा सांसद संजय राउत ने लिखा, ‘तेरे बिना भी क्‍या जीना…’ लता मंगेशकर के गाए सबसे लोकप्रिय गीतों में से एक है ‘ऐ मेरे वतन के लोगो…’ पहले लता ने कवि प्रदीप के लिखे इस गीत को गाने से इनकार कर दिया था, क्योंकि वह रिहर्सल के लिए वक्त नहीं निकाल पा रही थीं। कवि प्रदीप ने किसी तरह उन्हें इसे गाने के लिए मना लिया। इस गीत की पहली प्रस्तुति दिल्ली में 1963 में गणतंत्र दिवस समारोह पर हुई। लता इसे अपनी बहन आशा भोसले के साथ गाना चाहती थीं। दोनों साथ में इसकी रिहर्सल कर भी चुकी थीं। मगर इसे गाने के लिए दिल्ली जाने से एक दिन पहले आशा ने जाने से इनकार कर दिया। तब लता मंगेशकर ने अकेले ही इस गीत को आवाज दी और यह अमर हो गया।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल ब‍िहारी वाजपेयी और लता मंगेशकर एक-दूसरे का बहुत सम्मान करते थे। लता उन्हें दद्दा कहती थीं। दोनों से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। लता मंगेशकर ने अपने पिता के नाम पर खोले दीनानाथ मंगेशकर हॉस्प‍िटल के उद्‌घाटन समारोह में अटल को भी आमंत्रित किया था। जब उन्होंने समारोह के अंत में अपना भाषण दिया, तो बोले- ‘आपका हॉस्प‍िटल अच्छा चले, मैं ऐसा आपसे नहीं कह सकता। ऐसा कहने का मतलब है कि लोग बहुत बीमार पड़ें।’ ऐसा सुनकर लता हैरान रह गईं और कुछ नहीं कह पाईं।

लता मंगेशकर का सफर-
28 सितंबर 1929 को इंदौर में जन्मी लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं। उनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। लता जी ने लगभग 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फिल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज के भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। लता मंगेशकर को भारत सरकार ने देश सर्वश्रेष्ठ सम्मान ‘भारतरत्न’ से नवाजा था।