कौन जीतेगा बरहज: भाजपा-बसपा में हो सकती है कड़ी टक्कर

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बरहज | मनीष कुमार

देवरिया जिले की सरयू तट स्थित बरहज की सियासी लड़ाई इस बार कम दिलचस्प नहीं है. जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी ने कभी पार्टी के कद्दावर नेता व विधायक रहे दुर्गा प्रसाद मिश्र के बेटे दीपक मिश्र शाका को टिकट दिया है वहीं बहुजन समाज पार्टी ने युवा नेता विनय तिवारी बंटी भैया को मैदान में उतारा है तो समाजवादी पार्टी ने समाजवादी नेता विजय रावत को ​उम्मीदवार बनाया है, लेकिन अभी तक के रूझानों के आधार पर क्षेत्र में चर्चा है कि यहां मुख्य लड़ाई दीपक मिश्र और विनय तिवारी के बीच है. बरहज विधानसभा को ब्राहम्ण बाहुल्य माना जाता है. यहां पिछले चुनाव में वर्ष 2017 में भाजपा के सुरेश तिवारी ने जीत हासिल की थी लेकिन स्थानीय विधायक से जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए जिससे की पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।

सपा ने टिकट बंटवारे की देरी
बरहज में बसपा के विनय तिवारी बंटी भैया कई महीने पूर्व से ही बतौर बसपा उम्मीदवार क्षेत्र में प्रचार प्रसार कर रहे थे, तो वहीं इस बीच भाजपा प्रत्याशी किसको बनाएगी इसको लेकर तरह तरह की चर्चाएं चल रही थी. भाजपा से टिकट के कई दावेदार थे इनमें मुरली जायसवाल, दीपक मिश्र शाका, रजनीश उपध्याय, नरेन्द्र मिश्रा पप्पू समेत कई उम्मीदवार क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे थे लेकिन भाजपा ने दीपक मिश्र शाका को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इससे पूर्व बसपा उम्मीदवार विनय तिवारी भी जनसंपर्क कर रहे थे, वहीं समाजवादी पार्टी ने अब जाकर यहां से विजय रावत को उम्मीदवार घोषित किया है. 8 फरवरी को प्रत्याशी घोषित करने की वजह से ऐसा कहा जा रहा है कि सपा ने टिकट बंटवारे में देर कर दी, जिससे यहां अभी मुख्य लड़ाई बसपा व भाजपा के बीच ही दिखाई दे रही है.

क्या कहते हैं सियासी समीकरण
अगर पूर्व के चुनावों पर गौर करें तो वर्ष 2007 में यहां से बसपा के रामप्रसाद जायसवाल तो वर्ष 2012 में सपा के प्रेमप्रकाश सिंह तो वर्ष 2017 में भाजपा के सुरेश तिवारी को जीत मिली थी, लेकिन वर्ष 2012 में भी बसपा की रेनू जायसवाल 53896 वोट पाकर दूसरे नंबर रहीं तो वहीं 2017 में भी बसपा के मुरली मनोहर 50280 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. ऐसे में तीनों चुनावों में यहां बसपा को भले ही एक बार विजयश्री मिली हो लेकिन लड़ाई में बसपा ही रही है. ऐसे में इस बार भी मुख्य लड़ाई बसपा व भाजपा के बीच ही रहने का अनुमान है. दरअसल भाजपा और बसपा दोनों ने इस बार ब्राहम्ण उम्मीदवार उतारे हैं ऐसे में ब्राहम्ण वोटों में बिखराव की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.

किसका क्या दावा
भाजपा नेता यहां से अपनी एकतरफा जीत की बात कर रहे हैं. भाजपा नेताओं की मानें तो यहां उनकी जीत बड़े अंतर से होगी, वहीं बसपा उम्मीदवार समेत पार्टी के नेता अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. उनका कहना है कि क्षेत्र में उनको भरपूर जनसमर्थन मिल रहा है और उनको बसपा का परंपरागत वोट पचास हजार से 53 हजार के साथ साथ ब्राहम्ण वोट भी जुडेगा। इतना ही नहीं उनके नेता विनय तिवारी काफी समय तक भाजपा में रहे हैं तो भाजपा के कई नेता भी उनको समर्थन दे रहे हैं. अब बरहज विधानसभा में ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन फिलवक्त यहां का समीकरण दिलचस्प बना हुआ है.

बरहज का जातीय समीकरण
लगभग तीन लाख मतदाताओं वाली बरहज विधानसभा सीट पर दलित वोटर करीब 42 हजार हैं. यादव 41 हजार, ब्राह्मण 40 हजार, वैश्‍य 32 हजार और क्षत्रिय वोटर करीब 30 हजार हैं.

वर्ष 2007

बसपा रामप्रसाद जायसवाल 44347
सपा स्वामीनाथ यादव 26485
भाजपा प्रेमप्रकाश सिंह 23052

टोटल 93884

वर्ष 2012
सपा प्रेमप्रकाश सिंह 65672
बसपा रेनू जायसवाल 53896
भाजपा नरेन्द्र मिश्रा 9291

टोटल 128859

वर्ष 2017
भाजपा सुरेश तिवारी 61996
बसपा मुरली मनोहर 50280
सपा पीडी तिवारी 27761

टोटल 140037