रूस-यूक्रेन युद्ध: कई देशों के बीच आपस में ठनी
नई दिल्ली। रूस के यूक्रेन पर हमले को लेकर पूरी दुनिया में हड़कंप मचा है। दो साल से कोरोना से जूझ रही दुनिया उबर ही रही थी कि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग शुरू कर दी। रूस और यूक्रेन के बीच कई महीनों से तनाव चल रहा था और आखिर में बात जंग तक आ गई। लेकिन दुनिया में सिर्फ रूस और यूक्रेन ही अकेले नहीं हैं, बल्कि और भी कई देश हैं जिनमें आपस में ठनी है और हालात युद्ध की कगार पर खड़े हैं। यहां तक कि भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से तनाव की स्थिति है।
चीन और ताइवान- दूसरे विश्व युद्ध के बाद चीन में राष्ट्रवादी पार्टी कॉमिंगतांग और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच संघर्ष शुरू हो गया। 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी। माओ त्से तुंग राष्ट्रपति बने। कॉमिंगतांग की पार्टी के लोग भागकर ताइवान आ गए और उन्होंने इसे स्वतंत्र देश घोषित कर दिया। 1949 में चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ तो ताइवान का ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा। दोनों देश एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते। अब तक 13 देशों ने ही ताइवान को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दी है। चीन ताइवान को ही अपना हिस्सा बताता है।
जंग का खतरा बरकरार:
चीन लगातार ताइवान पर हमला करने की कोशिश करता रहता है। चीन के लड़ाकू विमान अक्सर ताइवान की सीमा में घुसपैठ करते रहते हैं। रूस के यूक्रेन पर हमला करते ही चीन के 9 लड़ाकू विमानों ने ताइवान में फिर घुसपैठ की। ताइवान ने चिंता जताई है कि यूक्रेन संकट का फायदा चीन उठा सकता है।
अजरबैजान और अर्मेनिया-
अजरबैजान और अर्मेनिया दोनों ही सोवियत संघ का हिस्सा रहे हैं। दोनों के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर विवाद है। इस इलाके को लेकर दोनों के बीच 1980 के दशक से ही विवाद शुरू हो गया। बाद में जब सोवियत संघ टूटा तो नागोर्नो-काराबाख अजरबैजान के पास चला गया। अजरबैजान मुस्लिम देश है और अर्मेनिया ईसाई बहुल राष्ट्र है। नागोर्नो-काराबाख की बहुल आबादी भी ईसाई है। इसीलिए इलाके पर कब्जे को लेकर दोनों के बीच तनातनी रहती है।
युद्ध का खतरा इसलिए-
सोवियत संघ के विघटन के बाद दोनों देशों में जंग हुई थी। 1994 में युद्धविराम का समझौता भी हो गया था, लेकिन उसके बाद भी दोनों देश लड़ते रहते हैं। अक्टूबर-नवंबर 2020 में दोनों देश के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। उसमें 50 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे। अब भी दोनों के बीच सैन्य झड़पें होती रहती हैं।
सऊदी अरब और ईरान-
दोनों इस्लामिक देश हैं, लेकिन सऊदी में सुन्नी तो ईरान में शिया मुस्लिमों की आबादी ज्यादा है। मध्य पूर्व में दोनों ही देश अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश करते हैं। माना जाता है कि इस्लाम का जन्म सऊदी में हुआ, इसलिए वो खुद को मुस्लिम देशों के नेता के तौर पर दिखाता है, लेकिन 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद हालात बदल गए। दोनों सीरिया, बहरीन और यमन जैसे देशों पर अपनी ताकत और प्रभाव जमाना चाहते हैं। सीरिया में ईरान समर्थित सरकार है। यमन में सऊदी का हूती विद्रोहियों से संघर्ष चलता है जिसे ईरान समर्थन देता है। दोनों एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन माने जाते हैं। यमन में सऊदी गठबंधन और ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के बीच संघर्ष चल ही रहा है। दोनों के बीच दशकों से शीत युद्ध चल ही रहा है, लेकिन कभी-कभी हालात युद्ध जैसे भी बन जाते हैं। मई 2019 में ही सऊदी ने ईरान को चेताया था कि वो युद्ध नहीं चाहता, लेकिन ईरान से अपनी रक्षा करेगा। हालांकि, पिछले साल इराक ने दोनों देशों के बीच दोस्ती कराने की पहल की थी।
इजरायल और फिलिस्तीन विवाद-
1948 में फिलिस्तीन के दो टुकड़े हुए और इजरायल अस्तित्व में आया। 55 फीसदी हिस्सा फिलिस्तीन तो 45 फीसदी हिस्सा इजरायल को मिला। इजरायल यहूदी देश और फिलिस्तीन मुस्लिम। दोनों के बीच येरूशलम को राजधानी बनाने को लेकर लड़ाई रहती है। इजरायल येरूशलम को अपनी राजधानी घोषित कर चुका है। हालांकि, अभी इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। फिलिस्तीन के पास अब दो बड़े इलाके बचे हैं जिनमें गाजा और वेस्ट बैंक शामिल है। वेस्ट बैंक शांत रहता है, लेकिन गाजा अशांत है। गाजा पर ही हमास का कंट्रोल भी है। इजरायल हमास को आतंकी संगठन बताता है।
दोनों देश 1956, 1967, 1973 और 1982 में जंग लड़ चुके हैं। इन युद्ध में इजरायल फिलिस्तीन की जमीन कब्जा चुका है। अब करीब 20 फीसदी जमीन ही फिलिस्तीन के पास बची है। इजरायल और हमास के बीच संघर्ष चलता रहता है। पिछले साल भी इजरायल ने हमास पर और हमास ने इजरायल पर बम बरसाए थे।
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया विवाद-
दूसरे विश्व युद्ध के बाद उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया अस्तित्व में आए। इससे पहले यहां जापान का शासन था। अगस्त 1948 में दक्षिण कोरिया और सितंबर 1948 में उत्तर कोरिया में चुनाव हुए। लेकिन 1950 में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर हमला कर दिया। अमेरिका समेत 15 देशों ने दक्षिण कोरिया का साथ दिया और रूस-चीन ने उत्तर कोरिया का। 1953 में युद्ध खत्म हुआ और दो अलग-अलग स्वतंत्र देश बने। बंटवारे के बाद भी दोनों देशों के बीच तनाव है। उत्तर कोरिया दक्षिण कोरिया को कब्जाना चाहता है।
1968 में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति की हत्या की नाकाम कोशिश की। 1983 में म्यांमार में हुए एक धमाके में 17 दक्षिण कोरियाई नागरिकों की मौत हो गई, जिसका आरोप उत्तर कोरिया पर लगा। उत्तर कोरिया लगातार परमाणु परीक्षण करता रहता है। दोनों के बीच तनाव दुनिया को परमाणु युद्ध की ओर ले जा सकता है।