21 लाख दीयों से जगमगाई महाकाल नगरी

उज्जैन। महाशिवरात्रि पर मंगलवार को उज्जैन में शिव ज्योति अर्पणम् महोत्सव मनाया गया। अब तक के सबसे भव्य आयोजन में पूरे शहर में 21 लाख दीये प्रज्ज्वलित किए गए। इनमें से 12 लाख दीप क्षिप्रा नदी के तट पर 10 मिनट में जलाकर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया गया है। अब तक यह रिकॉर्ड श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या के नाम थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पत्नी साधना सिंह के साथ 11 दीपक जलाकर शुरुआत की। इसके बाद सायरन बज गया। सभी स्वयंसेवकों ने दीपक जलाना शुरू कर दिया है।
भगवान महाकाल की नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया था। शिप्रा के घाटों पर 12 लाख दीप प्रज्ज्वलित होने के साथ ही शहर के हर चौराहे, बाजार, गली-मोहल्लों, कॉलोनियों में दीपमालिकाएं जगमगाईं। बाजारों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर सजावट और विद्युत सज्जा के साथ उत्सव हुए। गौरतलब है कि इस महाशिवरात्रि को महामहोत्सव के रूप में मनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोगों से आग्रह किया था। उसके बाद उज्जैन के सामाजिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक, सार्वजनिक, स्वयंसेवी और खेल आदि संगठनों के साथ नागरिकों ने इस अभियान से जुड़ कर महामहोत्सव की इबारत लिख दी है। शहर में हर गली-चौराहे पर दीपमालिकाएं जगमगाईं। पेट्रोल पंप एसोसिएशन ने 84 महादेव की रंगोली, परिक्रमा के साथ आकर्षक विद्युत सज्जा और नागरिकों के लिए परिक्रमा पथ बनाया। इंदौर रोड पर अवंतिका के युवराज संस्था ने श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए तोरण द्वार लगाया। महाकालेश्वर मंदिर में 51 हजार दीपकों की रोशनी की गई।
ड्रोन कैमरों, वीडियोग्राफी से 30 मिनट में गणना
घाट पर रखे दीपकों में मंगलवार दोपहर से ही तेल, बाती लगा दी गई। शाम को सूर्यास्त होते ही सायरन बजा और इसी के साथ 13500 स्वयं सेवक दीप जलाने में जुट गए। 15 मिनट में दीप जलाने के बाद सभी हट गए। गिनीज बुक के एक्सपर्ट ने ड्रोन कैमरों, वीडियोग्राफी आदि से दीपकों की गिनती की। इसी के साथ विश्व रिकॉर्ड दर्ज होने की घोषणा होगी। अयोध्या के 9.41 लाख दीपकों के रिकॉर्ड से ज्यादा दीपक जलने पर उज्जैन के नाम नया विश्व रिकॉर्ड दर्ज होगा। हाथों हाथ इसका प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
भवनों पर विद्युत रोशनी के साथ दीपमालिका
क्षिप्रा तट के अलावा महाकाल मंदिर में 51,000 दीये, मंगल नाथ मंदिर में 11000 दीये, कालभैरव मंदिर एवं घाट पर 10,000 दीये, गढ़कालिका मंदिर में 1,100 दीये, सिद्धवट मंदिर एवं घाट पर 6000 दीये, हरसिद्धि मंदिर में 5000 दीये, टावर चौक पर 1 लाख दीये और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी 2 लाख दीपक जलाए गए। शहर के बाजारों में व्यापारियों ने अपने भवनों पर रंग-बिरंगी विद्युत सज्जा की गई। प्रतिष्ठानों पर शाम को दीपमालिकाएं लगाईं गई। घरों पर भी दीपमालिकाएं लगाई गई। इसके लिए एक और जहां समाजों ने अपने समाजबंधुओं को प्रेरित किया वहीं ब्राह्मण समाज सहित अन्य समाजों ने दीपक वितरित किए। लांयस क्लब से लेकर खेल संगठन तक जुटे रहे। दीप प्रज्जवलित करने 13000 स्वयं सेवकों को क्षिप्रा घाट पर लगाया गया, जिसके लिए 17,593 स्व-पंजीकरण पहले ही हो गया। इसमें कॉलेजों से 2913, निजी स्कूलों से 1210, सरकारी स्कूलों से 3090, राष्ट्रीय सेवा योजना से 1023, खेल और युवा कल्याण से 552, तीर्थ पुरोहितों, पंडितों और अखाड़ों से 513, क्षत्रिय मराठा समुदाय से 56, कायस्थ समुदाय से 285 शामिल हैं। राठौर समुदाय से 95, गुजराती समुदाय से 120, सिंधी समुदाय से 100, अग्रवाल समुदाय से 173, सामाजिक संगठनों, समूहों, एनजीओ,सामाजिक कल्याण समूहों से 1027, कोचिंग संस्थानों से 1300, व्यावसायिक संगठनों से 111, राजनीतिक से 900 और पंचायत से 4000 एवं ग्रामीण क्षेत्रों के स्वयंसेवक द्वारा पंजीयन करवाया गया है।
जीरो वेस्ट पर आधारित होगा महामहोत्सव
स्वयंसेवकों के पहचानपत्र क्यूआर कोड एप के माध्यम से रीसाइकल पेपर से बनाए। महोत्सव के बाद दीयों का होम कम्पोस्टिंग, मटके, कुल्लड़ आदि बनाने उपयोग किया जाएगा। दीयों के बचे हुए तेल का गोशाला आदि में इस्तेमाल होगा। तेल की खाली बोतलों का थ्री-आर प्रक्रिया के माध्यम से उपयोग होगा। अयोध्या में दीपावली के मौके पर 9 लाख 45 हजार 600 दीपक जलाए गए थे। उज्जैन में महाशिवरात्रि पर 21 लाख दीपक जलाए गए। उज्जैन में रामघाट से भूखी माता घाट तक एक साथ 12 लाख दीपक जलाए जाएंगे। शेष 9 लाख दीये शहर के अन्य स्थानों पर लगाए गए। अयोध्या दीपोत्सव में विश्वविद्यालय परिसर, महाविद्यालय, विभिन्न गैर शिक्षक संस्थान, एनसीसी, एनएसएस समेत 12 हजार स्वयंसेवक ने सहयोग किया था। इसी तरह उज्जैन में भी नगर निगम और स्मार्ट सिटी के साथ जिला पंचायत से जुड़े 13 हजार से अधिक स्वयं सेवक जुड़े। अयोध्या में दीपोत्सव में प्रति स्वयंसेवक 75 से 80 दीये जलाने का लक्ष्य रखा गया था। उज्जैन में प्रति स्वयंसेवक 225 दीपक जलाने का लक्ष्य था। रामजन्मभूमि में रामलला के दरबार को भी फूलों से सजाने के बाद यहां 30 हजार दीये जलाए गए थे। महाकाल मंदिर में 51 हजार दीये जलाए गए।