‘M-Y’ यानि ‘माई’ फार्मूेले ने फिर खिलाया ‘कमल’

संदीप सिंह/संपादक
लखनऊ। एक बार फिर देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में भगवा लहरा रहा है। कई पुराने मिथको को ध्वस्त भाजपा लगातार दूसरी बार सूबे में एक बार फिर सत्ता संभालने जा रही है। उप्र विधानसभा के चुनाव परिणामों को देखकर यह साफ दिखता है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का ‘माई’ फार्मूला यानि मुस्लिम और यादव फेल हो गया जबकि भाजपा का ‘माई’ फार्मूला यानि मोदी और योगी हिट रहा और वह पूर्ण बहुमत की सरकार फिर से चलाने जा रही है।
उप्र के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू तो कायम रहा ही मुख्यमंत्री योगी का भी जलवा दिखा।

ऐन चुनावों के समय कानून-व्यवस्था को लेकर उनकी जो ‘बुलडोजर बाबा’ वाली छवि बनी उसने उनकी राह और आसान कर दी। स्वयं उन्होंने 70 में से करीब 58 चुनावी रैलियों में बुलडोजर का जिक्र किया और साथ ही उन अपराधियों के नाम भी गिनाये जिनके घरों आदि पर बुलडोजर चले थे। हालांकि इनमें से अधिकांश एक वर्ग विशेष के ही लोग थे।

इस जीत के साथ ही योगी आदित्यनाथ अब स्थापित हिन्दुत्ववादी नेता बन गये हैं। हालांकि उनकी हिन्दुत्ववादी छवि पहले भी थी लेकिन सबसे बड़े सूबे की दोबारा सत्ता संभालने के बाद इसका रंग अब और गहरा हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह और योगी उप्र में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कराने में एक बार फिर सफल रहे और उसके आगे किसान आन्दोलन की आग ठण्डी पड़ गयी।

हालत यह हुई लखीमपुर खीरी जहां किसानों को भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष ने जीप तले कुचला था, वहां भी भाजपा आठ विधानसभा सीटों में से सात पर जीत दर्ज की है। इसके अलावा राम मंदिर निर्माण, काशी विश्वनाथ काॅरिडोर और मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि के भी कायाकल्प की चर्चाओं ने भाजपा की जीत को पंख लगा दिए। वहीं जातिगत राजनीति को भी तोड़ने में भाजपा सफल हुई। उसे लगभग हर वर्ग और जाति के वोट मिले। साथ ही उसने मुस्लिम वोटों की परवाह तक नहीं की। इसके संकेत योगी आदित्यनाथ ने तभी दे दिए थे जब उन्होंने चुनावी लड़ाई को 80 बनाम 20 करार दिया था। वहीं आवारा पशुओं का मुद्दा भी भाजपा को नुकसान नहीं कर पाया। मुफ्त राशन ने भी भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभायी।