ईंधन की कीमतों में लगी आग, दुनिया में सबसे महंगी LPG भारत में
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का खमियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है इसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों में पर पड़ रहा है और कामतों में भारी इजाफा हो रहा है। भारत में पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ LPG, CNG और PNG की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। घरेलू मार्केट में करेंसीज की परचेजिंग पावर की बात करें तो भारत में प्रति लीटर एलपीजी की कीमत दुनिया में सबसे ज्यादा है। पेट्रोल की महंगाई के मामले में भारत दुनिया में तीसरे और डीजल की महंगाई के मामले में 8वें नंबर पर है।
देश में ईंधन की कीमत में तेजी के लिए बाहरी कारणों और दूसरे देशों में ऊंची कीमत का हवाला दिया जाता है। तो फिर ईंधन की कीमत हमें क्यों ज्यादा चुभती है? नॉमिनल एक्सचेंज रेट पर कीमत की तुलना करें तो पता चलता है कि अलग-अलग देशों में अलग-अलग करेंसीज की परचेजिंग पावर अलग-अलग होती है। साथ ही अलग-अलग देशों में इनकम लेवल भी अलग-अलग होता है।
पश्चिमी देशों में एक लीटर पेट्रोल की कीमत लोगों की डेली इनकम का मामूली हिस्सा होती है जबकि औसत आय वाले भारतीयों के लिए यह उनकी डेली इनकम के एक चौथाई हिस्से के बराबर है। अफ्रीकी देश बुरुंडी में यह एवरेज डेली इनकम से अधिक है। यही वजह है कि ईंधन की कीमतों में तेजी का असर भी अलग-अलग देशों में अलग-अलग होता है।
मुंबई में पेट्रोल की कीमत 120 रुपये प्रति लीटर से अधिक है। 75.84 रुपये के नॉमिनल एक्सचेंज रेट पर यह 1.58 डॉलर बैठती है। भारत में आप 75.84 रुपये में जितना सामान खरीद सकते हैं, उतना अमेरिका में एक डॉलर में नहीं मिलेगा। उदाहरण के लिए अमेरिका में मार्च में एक किलो आलू कीमत 1.94 डॉलर थी।
अगर इसे भारतीय रुपये में कन्वर्ट करें तो यह 147 रुपये बैठती है। इतने में आप भारत में मार्च के रेट के हिसाब से सात किलो आलू खरीद सकते हैं। यही वजह है कि विभिन्न देशों में पीपीपी डॉलर यानी इंटरनेशनल डॉलर के आधार घरेलू कीमतों की तुलना वाजिब कही जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक 2022 में PPP यानी इंटरनेशनल डॉलर का औसत 22.6 रुपये रहा है।