भगवा का मतलब भाजपा नहीं येति नरसिंहानंद जैसे लोगों को नहीं देते बढ़ावा: जेपी नड्डा
नई दिल्ली। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि भगवा का मतलब बीजेपी नहीं है और बीजेपी येति नरसिंहानंद जैसे लोगों को बढ़ावा नहीं देती है। उन्होंने कहा- कुछ लोग ऐसा करते हैं जिसे हम सही नहीं मानते। बीजेपी का मतलब है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबकी कोशिश। पार्टी इसी मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। जेपी नड्डा ने कहा- अगर बीजेपी का कोई कार्यकर्ता ऐसी हरकत करता है तो हम उसे रोकने में बिलकुल भी समय नहीं लगाएंगे। बीजेपी अध्यक्ष ने विपक्ष पर देश की आत्मा पर हमला करने की कोशिश का आरोप लगाया।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले देश की 13 प्रमुख विपक्षी नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर मोदी सरकार पर भड़काऊ भाषण देने और देश में सांप्रदायिक तनाव का माहौल पैदा करने का आरोप लगाया था। जवाब में नड्डा ने भी देश के नागरिकों के नाम एक चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने कहा है कि विपक्ष द्वारा की जा रही वोट बैंक पॉलीटिक्स और डिविजन पॉलीटिक्स अब नहीं चलेगी। उन्होंने आगे लिखा कि पीएम मोदी का पूरा ध्यान सबका साथ, सबका विकास पर है।
भारतीय युवाओं को अब पंख लग गए हैं और वो सफलता की ऊंचाईयां छूने को तैयार हैं। जेपी नड्डा ने कहा- अगर बीजेपी का कोई कार्यकर्ता ऐसी हरकत करता है तो हम उसे रोकने में बिलकुल भी समय नहीं लगाएंगे। बीजेपी अध्यक्ष ने विपक्ष पर देश की आत्मा पर हमला करने की कोशिश का आरोप लगाया। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले देश की 13 प्रमुख विपक्षी नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर मोदी सरकार पर भड़काऊ भाषण देने और देश में सांप्रदायिक तनाव का माहौल पैदा करने का आरोप लगाया था। जवाब में नड्डा ने भी देश के नागरिकों के नाम एक चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा की जा रही वोट बैंक पॉलीटिक्स और डिविजन पॉलीटिक्स अब नहीं चलेगी।
उन्होंने आगे लिखा कि पीएम मोदी का पूरा ध्यान सबका साथ, सबका विकास पर है। भारतीय युवाओं को अब पंख लग गए हैं और वो सफलता की ऊंचाईयां छूने को तैयार हैं। बीजेपी पर सांप्रदायिक हिंसा का आरोप लगाने वाले विपक्ष को जवाब देते हुए जेपी नड्डा ने ‘जब एक पेड़ गिरता है…’ बोलकर 1984 के दंगों का जिक्र किया।
उन्होंने कहा 1966 में गौवंश का कत्ल रोकने के लिए साधू पार्लियामेंट हाउस के बाहर धरना दे रहे थे जिनपर गोलियां चलवाई गई। ये इंदिरा गांधी का कार्यकाल था। इसके अलावा उन्होंने 1969 में हुए गुजरात दंगे, 1980 में मुरादाबाद में हुए दंगे, 1984 भिवानी, 1989 भागलपुर दंगों के जरिए विपक्ष पर हमला बोला।