ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी पर लगाया जमीन के घोटाले का आरोप

वाराणसी। ज्ञानवापी को लेकर सुनवाई से पहले एक बड़ा विवाद सामने आया है, जिसमें मस्जिद की जमीन के घोटाले का दावा किया गया है। आरोप लगाने वाले शख्स मुस्लिम समाज के ही बुनकर मुख्तार अहमद अंसारी हैं। मुख्तार अंसारी ने अंजुमन इंतजामिया कमेटी पर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा 139 साल पहले खसरे के मुताबिक जमीन 31 बिस्वा थी, मगर मौके पर सिर्फ 10.72 बिस्वा ही बाकी बची है, सवाल यह है कि बाकी 20 बिस्वा ज़मीन कहां गई?

बुनकर मुख्तार अंसारी ने कहा ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन को लेकर कोर्ट में पहले से मुकदमे चल रहे थे। मगर कभी हमने हस्तक्षेप नहीं किया। सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद जब उसकी नकल के आधार पर हमने जांच-पड़ताल की तो पाया कि मस्जिद की जमीन महज 14000 वर्गफीट के आसपास आती है। इसका मुआयना शुरू किया। पहले नगर निगम गए फिर वक्फ बोर्ड गए, इसके बाद रेवेन्यू ऑफिस गए, और 1883 का नक्शा हम लोगों ने निकलवाया। जमीन के कागजों की नकल बहुत ही मुश्किल से मिली थी।

बुनकर ने बताया कि, हमें नकल मिली तो पता लगा कि ब्रिटिश हुकूमत के दौरान वर्ष 1883 में आराजी नंबर 9130 यानी ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन लगभग 31 बिस्वा थी, जबकि कमीशन कार्यवाही में जमीन 10.72 बिस्वा बताई गई। इस पर हमने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के लोगों से कहा कि आप लोग स्थिति स्पष्ट करें।

हालांकि, मस्जिद कमेटी की तरफ से आरोपों को बेबुनियाद बताया गया और कहा गया कि अंसारी 1883 कि जिस खसरे की बात कर रहे हैं, उसमें बदलाव हुआ है। 1937 में कोर्ट के फैसले में जितनी जमीन का जिक्र है, उतनी ही मौके पर है। इस पर मुख्तार ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि अगर ऐसा है तो वह कागजात क्यों नहीं दिखा देते। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही इस मामले को लेकर कोर्ट में एक याचिका दाखिल करने वाले हैं।