सुशासन दिवस: आम जिंदगी में महसूस हो सुशासन – अटल जी की जयंती

Atal Bihari Bajpeyi

मुस्ताअली बोहरा – अधिवक्ता एवं लेखक – भोपाल, मप्र
भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर को है। उनकी जयंती सुशासन दिवस के रूप में मनाई जाती है। सुशासन दिवस मनाने का मकसद है कि लोग ये जान सके कि सरकार के कर्तव्य और जवाबदेही क्या है। सुशासन का तात्पर्य ये भी है कि लोग अपने हितों की रक्षा करते हुए सरकार को निष्पक्ष रूप से विकासोन्मुखी काम करने के लिए प्रेरित करें। सुशासन की दिशा में कार्य करते हुए सरकार ने शासकीय कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की कोशिश की। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना लागू की गई है जिसका मकसद स्थानीय स्तर पर लोगों की दैनांदिनी जरूरतों को उपलब्ध कराना है। सूचना के अधिकार के तहत कार्यों की जानकारी दी जाती है और निगरानी रखी जाती है। साथ ही पात्र व्यक्तियों को तय समयसीमा में सुविधाएं उपलब्ध कराने का भी प्रयास किया जाता है। ऐसा नहीं है कि सुशासन की अवधारणा पूरी तरह फलीभूत हो गई है बल्कि अभी और भी चुनौतियां हैं जिन्हें दूर किया जाना जरूरी है। मसलन, कमजोर तबके के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ अंतिम हितग्राही तक पहुंचना बाकी है, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अभी और प्रयासों की आवश्यकता है। भ्रष्टाचार पर अभी तक पूरी तरह लगाम नहीं लगा है। चाहे केन्द्र सरकार हो या फिर राज्य सरकार, महज बजट आबंटन ही सब कुछ नहीं होता बल्कि उस बजट का सहीं उपयोग, माकूल प्रबंधन भी विकासोन्मुखी योजनाओं और कार्यों के लिए जरूरी होता है। इसके अलावा राजनीति में अपराधीकरण को रोकना निहायत जरूरी है। वैसे तो शिक्षा, स्वास्थ्य, तकनीक, ऊर्जा, कृषि, उद्योग सहित अन्य क्षेत्रों में भी देश ने खासी तरक्की की है लेकिन विश्व गुरू के तौर पर खुद को स्थापित करने के लिए अभी और प्रयासों की जरूरत है।
यहां ये सवाल भी जहन में आ सकता है कि आखिर सरकार को सुशासन दिवस मनाने की जरूरत क्यों पड़ी। दरअसल, सरकार योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन कर सके और आम जन के प्रति जवाबदेह हो यही बताने के लिए सुशासन दिवस मनाने की परंपरा शुरू की गई है। जाहिर है समाज के चौमुखी विकास, देश की उन्नति के लिए सुशासन की ही आवश्यकता है। वैसे यहां ये भी कहना लाजमी होगा कि सुशासन का सरोकार केवल सरकार से ही नहीं है अपितु सुशासन या बेहतर शासन तभी संभव है जब इसमें आम जन की भी भागीदारी हो। जिस तरह हम सरकार से बेहतर सेवाओं और बुनियादी जरूरतों को मुहैया कराने की उम्मीद रखते हैं वैसे ही आम आदमी के भी कुछ दायित्व हैं। जब हर व्यक्ति अपने दायित्वों का बोध करते हुए समाज के विकास में अपनी भूमिका अदा करेगा तब सुराज की स्थापना हो सकेगी।
पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न, प्रखर वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और प्रखर राजनीतिज्ञ अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि नैतिक रूप से सशक्त सरकार ही सुशासन दे सकती है। देश वर्तमान में कितना सुशासन की दिशा में आगे बढ़ा है ये और बात है लेकिन तमाम चुनौतियों के बीच क्या सिर्फ एक दिन सुशासन दिवस के रूप में मनाने से सुशासन आ जाएगा ये चिंतनीय है। अटल बिहारी वाजपेयी ने बतौर प्रधानमंत्री शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पेयजल, परिवहन सहित अन्य क्षेत्रों में ऐसे कई निर्णय लिए जिन्हें सुशासन के प्रतीक के तौर पर माना जा सकता है। जैसे, संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना, सर्वशिक्षा अभियान, अंत्योदय अन्न योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और स्वर्णिम चर्तुभुज योजना, नदी जोड़ो योजना आदि। अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में परमाणु परीक्षण कर भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित कर दिया। उनके इस कदम ने भारत को निर्विवाद रूप से एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया। संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया। राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास, नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं। उड़ीसा के सर्वाधिक निर्धन क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया। आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया। ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की। उनके कामों और योगदान की फेहरिस्त खासी लंबी है। उनकी कई योजनाओं को बाद में आई गैर भाजपाई सरकार ने भी अमल में लाया।
अटल जी की दूरंदेशी से वाकिफ वर्तमान केन्द्र सरकार ने भी उनके पदचिन्हों पर चलते हुए कई नवाचार किए हैं। वर्तमान केन्द्र सरकार ने ब्रितानिया हुकुमत के जमाने से चले आ रहे कई गैरजरूरी कानूनों को संशोधित या खत्म किया है। आतंकवाद से निपटने के लिए सशक्त कार्ययोजना बनाकर नकेल लगाने की कोशिश की है। भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सूचना का अधिकार, ई टेंडरिंग सहित अन्य व्यवस्थाएं लागू की गई हैं। शिक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य और तकनीकी क्षेत्रों में लगातार प्रगति हो रही है। हालांकि, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि क्षेत्रों में अभी बहुत काम करना बाकी है। कुल मिलाकर, आम आदमी जब अपनी जिंदगी में सुशासन महसूस कर सकेगा तभी वाजपेयी जी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाना सार्थक होगा।
— अटल जी… एक नजर में
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया। आपने वर्ष 1947 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के समाचार पत्रों के लिये एक पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया। आपने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और दैनिक समाचार पत्रों-स्वदेश और वीर अर्जुन में काम किया। बाद में श्यामा प्रसाद मुखर्जी से प्रभावित होकर वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए।
1993 में कानपुर विश्वविद्यालय में डी लिट, 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 2015 में आपको मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से डी लिट और 2015 में बांग्लादेश सरकार द्वारा फ्रेंडस ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवार्ड से सम्मानित किया गया। श्री वाजपेयी को वर्ष 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें वर्ष 1994 में पद्म विभूषण और वर्ष 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, फिर 1998 में और 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।