CM योगी को लिखा पत्र, बताया सामाजिक न्याय के हित में English
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहाँ अभी कक्षा-6 से अंग्रेजी पढाई जाती है, वहां प्राथमिक शिक्षा के स्तर से अंग्रेजी को अनिवार्य बनाने का मुख्यमंत्री का निर्णय निःसंदेह एक सुधारवादी और क्रांतिकारी कदम है जिसके दूरगामी प्रभाव होंगे। उत्तर प्रदेश एक ऐसा हिंदी पट्टी क्षेत्र रहा है जहाँ 70 के दशक में लोहियावादी एवं अन्य समाजवादी समूहों ने लगातार ‘अंग्रेजी हटाओ’ का आंदोलन चलाया।
उस ज़माने में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कहने पर सरकारी कार्यालयों से हिंदी टाइपराइटर तक को हटा दिया गया था। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि सामाजिक-आर्थिक विकास और विशेषकर रोजगार के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश लगातार पिछड़ता गया। उक्त बातें ब्रिटिश लिंग्वा के डायरेक्टर डॉ. बीरबल झा ने कही।
योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपना एक महीने का कार्यकाल पूरा कर लिया है और जैसी लोगों की उम्मीदें हैं, उन्होंने इस संक्षिप्त अवधि के भीतर कई जन-कल्याणकारी कार्यों की पहल की है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में सुधार है, जो योगी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। असल में, यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें पिछली सरकारों द्वारा किसी स्पष्ट नीति के अभाव के कारण उत्तर प्रदेश देश के अन्य राज्यों की तुलना में काफी पीछे चला गया। बहरहाल, शिक्षा प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन और किसी भी विचारधारा से अलग होकर विचार करने की दृष्टि से योगी जी द्वारा कक्षा-6 की बजाय नर्सरी से सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी शिक्षा शुरू करने को एक साहसिक कदम कहा जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि डॉ. झा की शीघ्रः प्रकाशित होने वाली पुस्तक ‘भारत में सामाजिक न्याय के लिए अंग्रेजी’ में भी अंग्रेजी को मात्र एक भाषा मानने के बजाए उसे सामाजिक बदलाव के एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में स्वीकार किया गया है। यही कारण है कि डॉ. झा ने अंग्रेजी शिक्षा पर मुख्यमंत्री के इस दृष्टिकोण की प्रशंसा की और इसे गरीबों व पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए सामाजिक न्याय के लक्ष्य को प्राप्त करने का एक जरिया भी बताया। इस कदम का सकारात्मक प्रभाव न केवल ज्ञान, नौकरी की संभावना और जीवन-स्तर में सुधार पर पड़ेगा बल्कि राज्य में लोगों की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि करने में भी सहायता करेगा।
डॉ. झा देश के युवाओं को ‘सॉफ्ट स्किल ट्रैंनिंग’ के माध्यम से कार्यकुशल बनाने उनकी सामाजिक-आर्थिक दशा में सुधार करने की दिशा में काफी लम्बे समय से सक्रिय रहे हैं। उन्होंने 1993 में ब्रिटिश लिंगुआ की स्थापना की और तब से वह अंग्रेजी को समाज के निम्न वर्ग तक ले जाकर उनके जीवन-स्तर में सुधार के लिए कठोर प्रयास करते रहे हैं। उन्होंने सभी वर्गों को अंग्रेजी-ज्ञान से जोड़ने के लिए ‘सभी के लिए अंग्रेजी’ जैसे आंदोलन की शुरुआत भी की। उल्लेखनीय है कि समूचे विश्व में भारत ने अंग्रेजी के विकास में एक निर्णायक भूमिका अदा की है, अतः अब समय आ गया है कि वह इसका समुचित लाभ भी उठाए।
अंग्रेजी शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. झा की संस्था ‘ब्रिटिश लिंग्वा’ के योगदान को देखते हुए बिहार सरकार ने उसे पहला ‘अंग्रेजी कौशल विकास परियोजना’ का कार्य सौंपा जिसके अंतर्गत राज्य के महादलित वर्ग के बच्चों व युवाओं को अंग्रेजी ज्ञान देकर उनके रोजगार कौशल का विकास करना था। इस साझेदारी परियोजना से लगभग 30,000 से अधिक वंचित और गरीब युवाओं को लाभ मिला है। डॉ. झा ने मुख्यमंत्री श्री योगी को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश में भी एक ऐसी परियोजना शुरू करने का आग्रह किया है और उसके लिए अपनी सेवाएं उपलब्ध कराने की पेशकश भी की है।
कहने की आवश्यकता नहीं है कि श्री योगी के कुशल व गतिशील नेतृत्व में उत्तर प्रदेश भारत में एक महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र के रूप में उभरेगा और प्राथमिक शिक्षा में अंग्रेजी को शामिल करने के निर्णय का लाभ राज्य के सभी लोगों को मिलेगा।