स्वराज इंडिया को सदन के बाहर पहरेदारी करने का जनादेश

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नई दिल्ली. दिल्ली की जनता ने नगर निगम की बागडोर एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी को सौंप दी है. जनता ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को छोटे विपक्ष की ज़िम्मेदारी दी है, और स्वराज इंडिया को सदन के बाहर सड़क पर पहरेदारी करने का आदेश सुनाया है. हम इस जनादेश का सम्मान करते हुए इसे विनम्रता से स्वीकार करते हैं.

स्वराज इंडिया का मानना है कि अगर यह चुनाव पिछले 10 सालों के दौरान नगर निगम में बीजेपी के कामकाज के मुद्दे पर केन्द्रित होता तो भाजपा के जीतने की कोई संभावना नहीं थी. लेकिन भाजपा और आम आदमी पार्टी ने मिलकर इस चुनाव को दिल्ली की दुर्दशा के बजाए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर केन्द्रित कर दिया. अगर यह चुनाव नगर निगम के मुद्दों पर लड़ा गया होता, तो परिणाम अलग भी हो सकते थे. इस लिहाज़ से आम आदमी पार्टी बीजेपी को पुनः सत्ता में काबिज़ कराने की ज़िम्मेदार है.

स्वराज इण्डिया का यह मानना है कि चूँकि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने स्वयं ही इस चुनाव को एक तरह से अपने रेफरेंडम में तब्दील कर दिया था, इसलिए रामलीला मैदान में बार-बार दोहराए गए रीकॉल के सिद्धांत के अनुसार श्री अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी को दिल्ली की जनता से यह पूछना चाहिए कि अब उन्हें सत्ता में रहने का अधिकार है या नहीं. इस चुनाव से यह भी ज़ाहिर हो गया है कि कांग्रेस पार्टी की दिल्ली की राजनीति में अब कोई ख़ास प्रासंगिकता नहीं रही, और बीजेपी की बढ़त को रोकना उसके बूते की भी बात नहीं.

यह चुनाव स्वराज इण्डिया के लिए नींव के पत्थर जोड़ने का चुनाव था. इसलिए हमें सीट और वोट के बारे में न तो कोई बड़ी अपेक्षा थी, और न ही हमारी ओर से इसके बारे में कोई दावा किया गया.
हमें यह तो मालूम था कि हमें वोटों से कहीं ज़्यादा लोगों की दुआएं मिलेंगी, लेकिन साथ ही यह भी उम्मीद थी कि इस आशीर्वाद का कुछ हिस्सा वोटों में भी तब्दील होगा. बहरहाल, हम जनता जनार्दन के इस आदेश का सम्मान करते हैं, और वायदा करते हैं कि आने वाले पांच साल उनके बीच लगातार सक्रिय रहेंगे और बतौर पहरेदार अपनी ज़िम्मेदारी को पूरी ईमानदारी के साथ निभाएंगे.

यह चुनाव स्वराज इंडिया के लिए चुनावी राजनीति में पहला क़दम था. यह हमारे लिए यह वैकल्पिक राजनीति की नींव डालने का चुनाव था. इस पहले प्रयास में हमारे सामने तमाम मुश्किलें पेश आईं – हमारे पास न तो सरकार थी, न ही टी वी विज्ञापन और होर्डिंग पर खर्च करने के लिए पैसे. राज्य चुनाव आयोग ने हमें एक कॉमन चुनाव चिन्ह देने और पार्टी का दर्ज़ा देने तक से इनकार कर दिया, और छोटे- मोटे तकनीकी पेंचों के चलते 24 उम्मीदवारों के नामांकन पत्र भी रद्द कर दिए. यूं भी हमारी चुनावी व्यवस्था में नई पार्टियों के साथ पग- पग पर भेदभाव है. इसके बावजूद स्वराज इंडिया के उम्मीदवारों ने जम कर चुनाव लड़ा और स्वराज इंडिया के नाम और उसके विचार का जन- जन में प्रचार- प्रसार किया.

इन चुनावों में दिल्ली की जनता ने स्वराज इंडिया में दिलचस्पी ली और हमारी अच्छाइयों को दर्ज भी किया, लेकिन एक बार धोखा खाई जनता इतनी जल्दी एक और नई पार्टी पर भरोसा करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती थी. स्वराज इंडिया जनता की इस मनःस्थिति को समझता है, और यह वादा करता है कि हम अपने काम से जनता में व्याप्त हताशा को तोड़ेंगे, और खुद को जनता के भरोसे के काबिल साबित करेंगे. स्वराज इंडिया दिल्ली के सभी वार्ड में लोक पार्षद नियुक्त करेगा, जो हर वक़्त जनता की सेवा के लिए तत्पर रहेंगे. इस उद्देश्य के लिए दिल्ली के हर वार्ड में स्वराज केंद्र की स्थापना की जाएगी, जहां लोगों को अपनी समस्याओं का समाधान करने में मदद मिल सकेगी

इस चुनाव में स्वराज इण्डिया ने उम्मीदवारों के चयन और उनकी जाँच का एक नया मॉडल स्थापित किया. एम सी डी चुनाव के लिए सफाई और पर्यावरण पर केन्द्रित मेनिफेस्टो और ब्लू प्रिंट बनाया; बड़ी संख्या में महिलाओं और युवाओं को चुनावी मैदान में उतारा; और अपने चुनावी चंदे का पूरा ब्यौरा जनता के सामने रखा. यह स्वराज इंडिया की नैतिक और राजनैतिक विजय है.

वैकल्पिक राजनीति की लम्बी और कठिन यात्रा में हमने अभी अपना पहला और छोटा क़दम उठाया है. ‘साफ़ दिल साफ़ दिल्ली और साफ़ देश’ का संकल्प सामने रखते हुए स्वराज इंडिया वैकल्पिक राजनीति की यात्रा में आगे बढ़ेगी, और देश भर में संगठन और जनाधार को मजबूत करेगी.

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