पीसी चाको और माकन का इस्तीफा नामंजूर

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नई दिल्ली। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के इस्तीफा देने से विरोधियों को चुप रखने में मदद मिली है। २०१५ के विधानसभा चुनाव से तुलना करने की आंकड़ेबाजी भी काम आई। जो इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन और प्रभारी पीसी चाको ने अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भेजा था, उसे पार्टी ने स्वीकार नहीं किया है।

तर्क दिया है कि पार्टी ९ फीसदी से २२ फीसदी के करीब पहुंची है, जिससे आगे बढ़ने की संभावनाएं दिख रही हैं इसलिए आगे काम करें। सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव २०१४ से बिगड़ी कांग्रेस की सेहत के बाद यूपी, उत्तराखंड में खराब स्थिति के बाद दिल्ली नगर निगम चुनाव में पार्टी के वोट प्रतिशत में सुधार की बात राहुल गांधी के समझ में आई है।

प्रदेश कांग्रेस ने आलाकमान को यह संदेश दिया है कि २०१३ से शुरू होकर २०१५ में ७० में से ६७ सीट जीतने वाली पार्टी से महज ४ फीसदी वोट से पीछे रहे हैं। यूं ही लड़ते रहे तो अगले चुनाव में आम आदमी पार्टी को पटखनी दे पाएंगे। पार्टी में बिखराव के बीच कांग्रेस आलाकमान प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा स्वीकार करके इसे और बढ़ाना नहीं चाहता।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने आधिकारिक तौर पर अभी इस्तीफा स्वीकार करने या नहीं करने की घोषणा नहीं कर रहा है। लेकिन बुधवार के एमसीडी चुनाव परिणाम आने के बाद संवाददाता सम्मेलन में अजय माकन ने कड़ी मेहनत की है, यह कहकर पार्टी ने कुछ हद तक साफ भी कर दिया था कि वह इस्तीफा स्वीकार नहीं कर रही है।

बाकी राहुल गांधी ने पार्टी के इन दोनो नेताओं को कीप इट अप का संदेश भी दे दिया है। हालांकि इन नेताओं ने अभी पद पर कायम रहने का फैसला लेने के लिए कुछ समय मांगा है।

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