सीनियर वकील के पद मामले में इंदिरा जयसिंह की याचिका खारिज

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर वकील का दर्जा देने के प्रावधान को चुनौती देने वाली इंदिरा जयसिंह की याचिका को खारिज कर दी है। इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस प्रक्रिया को रोकने की मांग की थी। जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि वो पहले ही आदेश दे चुकी है कि सीनियर वकीलों का दर्जा देने का मामला सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के विवेक पर छोड़ दिया जाए।

जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट को दिए जाने वाले पदवी की प्रक्रिया को चुनौती दी थी। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वो सीनियर वकीलों का दर्जा देने के पहले के आदेश का पालन करने के लिए निर्देश दे।

जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को ऐसा करने से कभी नहीं रोका। पिछले दो सालों से किसी भी वकील को सीनियर वकील का दर्जा नहीं दिया है।

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि जब वकीलों को सीनियर? वकील का दर्जा दिया जाता है तो उसमें भेदभाव किया जाता है। अपनी याचिका में जयसिंह ने योग्य वकीलों को गाउन देने की प्रक्रिया पर सवाल उठाया था। उन्होंने अनुच्छेद १४ और १५ के उल्लंघन का आरोप लगाया था, और तर्क दिया था कि वर्तमान प्रक्रिया मनमानी है और पूरी तरह से पारदर्शी नहीं है।

जयसिंह ने याचिका के जरिए मौजूदा प्रक्रिया को अपारदर्शी, और मनमानी बताते हुए वकील को ‘वरिष्ठ अधिवक्ताओं’ के तौर पर निर्दिष्ट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की विधि की न्यायिक जांच की मांग की थी।

उन्होंने कहा था कि ‘वरिष्ठ अधिवक्ताओं’ की इस तरह के मनमाना नियुक्ति जिनकी फीस औसतन गैर-नामित अधिवक्ताओं की फीस से तीन गुना अधिक होती है, और वे एक अलग वर्ग बना लेते हैं जो कानूनी सुविधाओं को अप्राप्य बना देते हैं।

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