रेलवे 972 रु में 100 ग्राम दही, 49 रु में खरीदा गया टाटा नमक- RTI

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नई दिल्ली। सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत दूसरी अपील के तौर पर हाल में ही एक एक्टिविस्ट ने आवेदन किया जिससे पता चलता है कि केंद्रीय रेलवे का कैटरिंग विभाग कुछ खाद्य वस्तुओं को खरीद कर कई बार अपने गोदामों में भर लेता है।

आरटीआई आवेदन में खाद्य वस्तुओं की खरीद पर रेलवे अधिकारियों द्वारा जानकारी शेयर करने में असफल रहने के बाद एक्टिविस्ट अजय बोस ने पहली अपील दर्ज की। इसके प्रतिक्रिया में यह बात पता चला कि प्रत्येक १ किग्रा अमूल दही को ९,७२० रु में खरीदा जाता है।

बोस ने यह आरटीआई आवेदन तब फाइल किया जब उन्हें पता चला कि कैटरिंग विभाग काफी नुकसान में चल रही थी। बोस ने द हिंदू को बताया कि मैंने जुलाई २०१६ में आवेदन दर्ज कराया लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिला।

इससे पता चलता था कि वे कुछ छिपाना चाहते थे। मैंने एक अपील दायर की और अपीलीय प्राधिकरण ने रेलवे को कारण बताओ नोटिस जारी किया। १५ दिनों के अंदर विवरण प्रदान करने के लिए कहा। इसके बावजूद कई महीनों बाद भी कोई जवाब नहीं मिला।

बोस को ऐसा लगा कि विभाग जान बूझकर उनके अपील को नजरअंदाज कर रही है और तब उन्होंने दूसरी अपील दायर की। उन्होंने कहा कि इस बार मुझे विवरण समेत इसका जवाब मिला जो चौंकाने वाला था। वे १०० ग्राम दही जिसकी कीमत २५ रुपये है, ९७२ रुपये में खरीदते हैं।

इसके साथ ही रेलवे कई खाद्य सामग्री उसके एमआरपी से कहीं अधिक मूल्य में खरीदती है। रेलवे कैटरिंग विभाग द्वारा खरीदे खाद्य सामग्रियों का वितरण जनआहार कैंटीन, रेलवे बेस किचन व डेक्कन क्वीन, कुर्ला-हजरत निजामुद्दीन एक्सप्रेस जैसे ट्रेनों में किया है।

बोस ने आरोप लगाया कि ऐसे घोटाले की वजह से ही रेलवे नुकसान में है। लंबे इंतजार के बाद मुझे यह चौंकाने वाला ब्यौरा मिला जो मात्र कुछ महीनों का ही था जबकि मैं पूरे साल की जानकारी चाहता था। तूर दाल, मूंग दाल बेसन आदि के साथ टिश्यू पेपर भी इसमें शामिल हैं।

इसके अलावा रेलवे द्वारा खरीदे गए फूड आइटम में २०१६ मार्च में ७२,०३४ रु में ५८ लीटर रिफाइन, एक लीटर रिफाइन १,२४१ रु में खरीदा गया। इसने टाटा नमक के १५० पैकेट २,६७० रु जिसका प्रति पैकेट का मूल्य १५ रु की जगह ४९ रु में खरीदा गया, वॉटर बोतल और सॉफ्ट ड्रिंक की एक बोतल ५९ रु में खरीदी गयी।

उन्होंने कहा कि जन आहार कैंटीन व स्टेशनों पर लगे स्टॉल नुकसान में चल रहे हैं लेकिन आरटीआई के जवाब से वास्तविक छवि सामने आयी।

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