23 साल की हुई दिल्ली मेट्रो, ग्लोबल ऐलीट क्लब में शामिल 

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delhi metro
नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो को अब २३ साल पूरे हो गए है। बीते सालों में दिल्ली की लाइफलाइन बनी चुकी दिल्ली मेट्रो इस वर्ष दुनिया के टॉप-१० मेट्रो वाले शहरों के ग्लोबल ऐलीट क्लब में शामिल हो जाएगी। ऐलीट क्लब में वह मेट्रो शामिल, जिसका नेटवर्क परिचालन ३०० किलोमीटर का होता है।
वर्तमान में मेट्रो २१३ किलोमीटर का परिचालन कर रहा है जोकि इस वर्ष के अंत तक यह ३०० किलोमीटर को पार कर जाएगा। दिल्ली मेट्रो की शुरूआत १९९५ में हुई थी। अब २१३ किलोमीटर तक पहुंच गया है। मगर इतने कम समय में अब मेट्रो दुनिया की पुरानी मेट्रो वाले शहर लंदन, बीजिंग, शंघाई जैसे शहरों के ऐलीट क्लब में शामिल होगी।
हालांकि यह मौका मेट्रो को २०१६ में मिलना था लेकिन कुछ जमीन विवाद के चलते फेज तीन का काम देरी से चल रहा है मगर इस वर्ष यह ऐलीट क्लब में शामिल हो जाएगा।
दिल्ली मेट्रो की सफलता सिर्फ यही नहीं है। बीते वित्तीय वर्ष २०१६-१७ में मेट्रो से सफर करने वाले यात्रियों का आंकड़ा १०० करोड़ को पार कर गया। इस कैटिगरी में भी मेट्रो ने टॉप टेन में १० वां स्थान हासिल कर लिया है। दिल्ली मेट्रो से रोजाना औसतन २८ लाख यात्री सफर करते है। बीते पांच साल में इसमें ४३ फीसदी तक का इजाफा हुआ है।
दिल्ली मेट्रो का २१३ किलोमीटर के नेटवर्क में १६० स्टेशन है। २२७ ट्रेन सेट रोजाना करीब ३००० हजार ट्रिप लगाती है। डीएमआरसी का कहना है कि इस साल के अंत में यानि दिसंबर २०१७ तक वह फेज तीन की दो बड़ी लाइनों पिंक लाइन (मजलिस पार्क से शिव विहार ५८ किलोमीटर) और मजेंटा लाइन (जनकपुरी वेस्ट से बॉटेनिकल गार्डन ३८ किलोमीटर) का अधिकतम हिस्सा चालू हो जाएगा। इसके साथ हम ३०० किलोमीटर का नेटवर्क पार कर इलीट क्लब में शामिल हो जाएगा।
 सबसे पुरानी मेट्र्रो
दुनिया में लंदन मेट्रो सबसे पुरानी है। लंदन मेट्रो ने ही दुनिया के दूसरे शहरों को मेट्रो के लिए प्रोत्साहित किया। प्रदूषण रहित शहरी सार्वजनिक व्यवस्था के लिए फिर यह जरूरत बन गई। दिल्ली मेट्रो अब दुनिया के सबसेपुराने लंदन मेट्रो को भी २०२० तक पीछे छोड़ देगी। दरअसल, दिल्ली में मेट्रो फेज चार की तैयारी पूरी हो चुकी है।
डीएमआरसी इसपर काम भी शुरू कर चुकी है। इसमें कुल १०४ किलोमीटर बननी है। इसके बनने के बाद दिल्ली मेट्रो की पूरी लाइन ४१३ किलोमीटर की होगी। यह लंदन मेट्रो नेटवर्क ४०८ किलोमीटर को भी पीछे छोड़ देगा। यह सिर्फ २३ सालों में दिल्ली मेट्रो कर दिखाएगा जबकि लंदन मेट्रो १०० साल से ज्यादा का सफर पूरा कर चुकी है।

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