उन्नाव केस: MLA कुलदीप सेंगर को उम्रकैद, 25 लाख का जुर्माना
नई दिल्ली/लखनऊ। दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता (भादंसं) के तहत दुष्कर्म और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत लोकसेवक द्वारा एक बच्ची के खिलाफ यौन हमले के अपराध का दोषी ठहराया था। इस अपराध के लिए अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
उन्नाव रेप कांड में दोषी करार दिए भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने सेंगर पर 25 लाख का जुर्माना भी लगाया है। सेंगर को तीस हजारी कोर्ट ने सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि हमें नरमी दिखाने वाली कोई परिस्थिति नहीं दिखी, सेंगर लोक सेवक था, उसने लोगों से विश्वासघात किया।
कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिए जाने का भी निर्देश दिया। सेंगर ने जो भी किया, वह बलात्कार पीड़िता को डराने-धमकाने के लिए किया। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सोमवार को 2017 में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म करने के मामले में दोषी करार दिया था।
इससे पहले कोर्ट ने “शक्तिशाली व्यक्ति” के खिलाफ पीड़िता की गवाही “सच्ची और बेदाग” माना है। अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता (भादंसं) के तहत दुष्कर्म और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत लोकसेवक द्वारा एक बच्ची के खिलाफ यौन हमले के अपराध का दोषी ठहराया था।
इस अपराध के लिए अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। अदालत ने सजा की अवधि पर सुनवाई के लिए शुरुआत में बुधवार (18 दिसंबर) की तारीख निर्धारित की थी। हालांकि, बाद मे इस विषय को मंगलवार के लिए निर्धारित कर दिया गया क्योंकि सेंगर के वकील ने इसके लिए अनुरोध किया था।
पॉक्सो कानून में इस साल अगस्त में किए गए संशोधन इस मामले में लागू नहीं होंगे क्योंकि यह घटना 2017 में हुई थी। संशोधित कानून में मौत की सजा का प्रावधान है। हालांकि, जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने मामले में सह-आरोपी शशि सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
पॉक्सो अधिनियम के तहत सेंगर (53) को दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि सीबीआई ने साबित किया कि पीड़िता नाबालिग थी और सेंगर पर इस विशेष कानून के तहत चलाया गया केस सही था।