RSS का कोई एजेण्डा नहीं, हम संविधान को मानते हैं: भागवत

mohan bhagwat

बरेली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सर संघ चालक प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जब आरएसएस के कार्यकर्ता यह कहते हैं कि यह देश हिंदुओं का है और 130 करोड़ लोग हिंदू हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी के धर्म, भाषा या जाति को बदलना चाहते हैं। हम संविधान से अलग कोई सत्ता केंद्र नहीं चाहते हैं, क्योंकि हम इस पर विश्वास करते हैं। वही भविष्य के भारत पर आरएसएस का दृष्टिकोण है। उन्होंने कहा कि संघ का कोई एजेंडा नही है, संघ भारत के संविधान को मानता है।
सर संघ चालक मोहन भागवत ने रविवार को बरेली के रुहेलखंड विश्वविद्यालय में ‘भविष्य का भारत-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ विषय पर व्याख्यान दिया। इस मौके पर संघ प्रमुख ने कई मुद्दों पर खुल कर बात की। उन्होंने संविधान से लेकर हिंदुत्व तक पर बात की।

उन्होंने कहा संविधान कहता है कि हमें भावनात्मक एकीकरण लाने की कोशिश करनी चाहिए, लेकिन भावना क्या है? वह भावना है- यह देश हमारा है, हम अपने महान पूर्वजों के वंशज हैं और हमें अपनी विविधता के बावजूद एक साथ रहना होगा। इसे ही हम हिंदुत्व कहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में हम सब हिंदू वासी हैं, जाति पंथ, संप्रदाय, प्रांत और तमाम विविधताओं के बावजूद हम एक सभी को मिलकर भारत निर्माण करना है। जब-जब हिंदुत्व कमजोर हुआ तब-तब भारत का भूगोल बदला है इसलिए हमें विभिन्न संस्कृति और विविधाओं के बीच एक रहना है।

उन्होंने कहा कि संघ का मानना है कि जनसंख्या वृद्धि समस्या है तो समाधान भी है, कुछ लोग भ्रमवश यह कह रहे है कि संघ दो बच्चों तक परिवार को सीमित करने की इच्छा रखता है। जनसँख्य समस्या तो है पर कुछ समस्याओं का समाधान भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि संघ को लेकर तमाम भ्रांतियां फैलाई जाती है इन भ्रांति का समाधान तभी हो सकता है जब संघ को कोई नजदीक से समझें। संघ के पास कोई रिमोट कंट्रोल नहीं है और ना ही किसी को अपने हिसाब से चलाता है। अन्य लोग कहते हैं विविधा एकता है जबकि हम एकता में विविधता मानते हैं।

उन्होंने कहा की हमें जाति, प्रांत और क्षेत्रवाद को छोड़कर हिंदू होने पर गर्व करना होगा। क्योंकि जो भी भारत में जो भी है पैदा हुआ उसके बंशज है। वह सब हिंदू ही होते हैं। उन्होंने कहा कि संघ का कोई एजेंडा नही है, संघ भारत के संविधान को मानता है। हम शक्ति का कोई दूसरा केंद्र नही चाहते, संविधान के अलावा कोई शक्ति केंद्र होगा, तो हम उसका विरोध करेंगे क्यों कि ये विचार पहले से तय है। संघ को खत्म करने वाले कितने लोग आए और चले गए लेकिन संघ को समाप्त नही कर सके।

उन्होंने कहा की सत्य पर आधारित विरोध करने पर सुधार होता है, लेकिन बिना सोचे समझे गुमराह किया जाना अनुचित है। उन्होंने संघ के दृष्टिकोण को विस्तार से समझाते हुए कहा कि भारत एक मजबूत देश है। दुनिया मैं उसकी पहचान बन चुकी है। इसे और मजबूत करना है।