रेलवे रिजर्वेशन फार्म में बदलाव
नई दिल्ली।
कोरोना संक्रमण काल में रिजर्वेशन सेंटरों से तत्काल कन्फर्म टिकट लेने में काफी परेशानी हो रही है। लाइन में सबसे आगे खड़े व्यक्ति को भी कन्फर्म टिकट जल्दी नहीं मिल पा रहा है। रेलवे द्वारा कोरोना काल में रिजर्वेशन फार्म में किए गए बदलाव के चलते आम लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कोरोना काल में रेलवे ने ट्रेन से यात्रा करने वालों से संक्रमण फैलने के खतरे को कम करने के लिए रिजर्वेशन फार्म में बदलाव किए थे।
इन बदलावों में व्यक्ति को जिस शहर के लिए टिकट करना होता है, उस शहर का नाम, जिस पते पर जाना है, वहां का पूरा पता, वहां रहने वाले व्यक्ति का मोबाइल नंबर, क्षेत्र का पिनकोड फार्म में भरना पड़ता है। फार्म में इन सब कॉलम को भरने के बाद बुकिंग क्लर्क कंप्यूटर में इन कॉलम को दोबारा भरता है। जबतक क्लर्क कॉलम भर पाता है, तब तक तत्काल कोटा फुल हो जाता है और कन्फर्म के बजाए वेटिंग टिकट मिलने लगता है। यह क्रम बीते तीन महीने से चल रहा है। फार्म में बदलाव का फायदा ऑनलाइन एजेंट सबसे ज्यादा मिल रहा है।
वह पहले से कंप्यूटर में फार्म की पूरी डिटेल फीड करके रखते हैं। तत्काल कोटा खुलते ही उन्हें केवल कीबोर्ड पर एंटर मारना होता है। जबकि रिजर्वेशन सेंटर पर तत्काल कोटा खुलने पर क्लर्क व्यक्ति से फार्म हाथ में लेता है और फिर कंप्यूटर में फीड करता है। तब तक फीडिंग की प्रक्रिया पूरी होती है, तत्काल कोटा फुल हो जाता है। आगरा रेल मंडल में आगरा कैंट, आगरा फोर्ट, राजामंडी, ईदगाह जंक्शन, मथुरा जंक्शन, मथुरा कैंट, वृंदावन, अछनेरा, कोसीकलां आदि सेंटरों पर प्रतिदिन हजारों लोग तत्काल कोटे का टिकट हासिल करने लाइन में लगते हैं। परंतु उन्हें मिलता है केवल वेटिंग का टिकट।
लोगों का कहना है कि ज्यादा पैसा देने पर वेटिंग टिकट ही मिलना है तो वह तत्काल कोटे में रिजर्वेशन क्यों कराएं। एसके श्रीवास्तव, पीआरओ कहते हैं कि कोरोना काल में रिजर्वेशन फार्म में बदलाव किया गया है। विवरण संक्रमण फैलने की स्थिति में संक्रमित व्यक्ति की पहचान में सहायक होता है। बदलाव का निर्णय रेलवे बोर्ड स्तर से हुआ था।