दिल्ली बॉडर पर किसानों का आंदोलन तेज

Farmers walk near a police road block stopping them from marching to New Delhi to protest against the central government's recent agricultural reforms at the Delhi-Uttar Pradesh state in Ghazipur border on Tuesday December 1, 2020.

नई दिल्ली। नए कृषि कानून के खिलाफ राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों का आंदोलन और तेज होगा। केंद्र सरकार के साथ मंगलवार को वार्ता विफल होने के बाद नए कानून का विरोध कर रहे किसान संगठनों का कहा कि उनका आंदोलन और तेज होगा।

आंदोलन को और तेज करने के लिए बुधवार को पंजाब, हरियाणा से और अधिक किसानों का जत्था दिल्ली आएंगे। इसके अलावा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से भी किसान आंदोलन में शामिल होने आ सकते हैं।

सरकार से वार्ता विफल होने के बाद आल इंडिया किसान समनवय समिति के प्रवक्ता आशुतोष ने कहा कि जब मांगे नहीं मान ली जाती है तब आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर को भी सरकार के साथ हमारी वार्ता है और उम्मीद करते हैं कि उसमें सरकार किसानों की मांग को पूरा करते हुए कानून को वापस लेगी।

आशुतोष ने कहा कि तब तक किसानों का आंदोलन न सिर्फ जारी रहेगा बल्कि और तेज होगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा-पंजाब से काफी संख्या में किसानों का जत्था दिल्ली की ओर आएंगे और आंदोलन को मजबूती के साथ आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि आंदोलन में शामिल होने के लिए जहां उत्तर प्रदेश से काफी संख्या में बुधवार को और किसान आएंगे। साथ ही कहा कि अब मध्य प्रदेश के भी किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आ सकते हैं।

किसान आज की वर्ता को लेकर रूके हुए थे, लेकिन अब सभी जगहों से दिल्ली की तरफ किसान आएंगे। केंद्रीय मंत्री के साथ बैठक बेनतीजा होने पर दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने कहा कि हमें निराशा हुई है,लेकिन हम नए कानून को रद्द होने तक यही डटे रहेंगे। आल इंडिया किसान समनवय समिति के प्रवक्ता आशुतोष ने कहा कि किसान अपनी पूरी तैयारी के साथ आए हैं और कानून को वापस लेने तक यहीं जमें रहेंगे। किसान संगठनों की ओर से सरकार के साथ बैठक में शामिल होने वाले चंदा सिंह ने कहा कि हमारा आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी रहेगा।

हम सरकार से जरूर कुछ वापस लेकर रहेंगे। हम दोबारा से सरकार से बातचीत करने के लिए वापस आएंगे। उन्होंने कहा कियह भी तय है कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। सरकार ने मंगलवार को नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित करने की पेशकश की थी। लेकिन बैठक में शामिल किसानों के प्रतिनिधियों ने इसे सिरे से ठुकरा दिया।