सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अजय कुमार ने जताई खुशी : राइट टू हेल्थ:
वरिष्ठ समाजसेवी व समग्र मानव विकास फाउंडेशन के चेयरमैन अजय कुमार ने सुप्रीम कोर्ट की उस ऐतिहासिक टिप्पणी का स्वागत किया है जिसमें कोर्ट ने स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बताया है. अजय कुमार ने खुशी जताते हुए देश की शीर्ष न्यायपालिका के प्रति आभार जताया है. अजय कुमार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिलाने की मुहिम को बल मिला है और इसके लिए प्रयास और तेज किया जाएगा.
डेढ दशक से कर रहे हैं मांग
समाजसेवी अजय कुमार गत डेढ दशक से अधिक समय से स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिलाने को लेकर प्रयासरत है. उन्होंने इसके लिए बकायदा अभियान चला रखा है. इस संबंध में उन्होंने जनजगरूकता के साथ साथ देश के जनप्रतिनिधियों से भी इसके लिए गुहार लगाई, जिसके बाद लगभग 80 से अधिक सांसदों ने उनकी इस पहल को सराहा और स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने की मुहिम के समर्थन में पत्र लिखा. समाजेसवी अजय कुमार का मानना है कि स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा मिलने से आम जनता को स्वास्थ्य सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होंगी. इस संबंध में अजय कुमार की मुहिम के बाद केंद्र की संवेदनशील सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दे दिया. इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन को भी मिलकर ज्ञापन सौंपा था, जिसके बाद इस संबंध में कार्यवाही का आश्वासन मिला है. इसके अलावा अजय कुमार समय-समय पर स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर भी लगातार संवेदनशील रहते हैं. अजय कुमार पहले ऐसे भारतीय है जिन्होंने डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जेनरल को पत्र लिखकर कोरोना के खतरे के प्रति न केवल आगाह किया था, बल्कि इसे परमाणु युद्ध से भी अधिक खतरनाक बताया था, जिसके बाद डब्ल्यूएचओ ने इसे अपने बयान में शामिल किया. इतना ही नहीं अजय कुमार ने कोरोना के बढते मरीजों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर बिहार में भी कोरोना मरीजों के लिए अलग अस्थाई अस्पताल बनाने की मांग थी, जिसके बाद केंद्र सरकार की ओर से बिहार में कोरोना मरीजों के लिए दो अस्थायी अस्पतालों का निर्माण किया गया.
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बताया है और कहा है कि स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार में सस्ती चिकित्सा भी शामिल है. प्राइवेट अस्पतालों की फीस में कैप लगाने की जरूरत या फिर राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन प्रावधान लेकर आए. कोर्ट ने कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत शक्तियों के प्रयोग कर प्राइवेट अस्पतालों की फीस में कैप लगाई जा सकती है. इस बाबत जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह ने आदेश में सुझाव दिए हैं.राज्य का कर्तव्य सस्ती चिकित्सापीठ ने कहा कि राज्य पर कर्तव्य है कि वह सस्ती चिकित्सा के लिए प्रावधान करें और राज्य या स्थानीय प्रशासन द्वारा चलाए जाने वाले अस्पतालों में अधिक से अधिक प्रावधान किए जाएं. कोरोना जैसी अभूतपूर्व महामारी के कारण दुनिया में हर कोई पीड़ित है. एक तरह से यह कोविड 19 के खिलाफ विश्व युद्ध है, इसलिए कोविड -19 के खिलाफ विश्व युद्ध से बचने के लिए सरकारी सार्वजनिक भागीदारी होनी चाहिए.
संविधान में भी उल्लेख
भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वास्थ्य का अधिकार एक मौलिक अधिकार है. स्वास्थ्य के अधिकार में किफायती उपचार शामिल है, इसलिए यह राज्य का कर्तव्य है कि वह अस्पतालों में किफायती उपचार और अधिक से अधिक प्रावधानों का प्रावधान करे.