राजपथ से दुनिया ने देखा, भारतीय सैन्य ताकत का जलवा

राफेल, पिनाका और टी-90 भीष्म ने दिखाई ताकत
नई दिल्ली।
देश में गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत की सैन्य ताकत को राजपथ पर दुनिया बखूबी देखा। परेड के दौरान थल सेना अपने मुख्य जंगी टैंक टी-90 भीष्म, इनफैन्ट्री कॉम्बैट वाहन बीएमपी-दो सरथ, ब्रह्मोस मिसाइल की मोबाइल प्रक्षेपण प्रणाली, रॉकेट सिस्टम पिनाका, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली समविजय समेत अन्य का दमखम प्रदर्शित किया।

इस साल नौसेना अपने पोत आईएनएस विक्रांत और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान नौसैन्य अभियान की झांकी पेश की। भारतीय वायु सेना हल्के लड़ाकू विमान तेजस और देश में विकसित टैंक रोधी निर्देश मिसाइल ध्रुवास्त्र पर प्रस्तुति पेश की गई।

टी-90 टैंक अभी दुनिया में सबसे उन्नत टैंक में शुमार होता है। टी-90 टैंक रूस में तैयार किया गया है। ये टैंक सबसे अचूक निशाना लगाने के लिए जाना जाता है। इस भारत में भीष्‍म का नाम दिया गया है। ड्रैगन के साथ गतिरोध के बीच इस चीन से लगती सीमा पर तैनात किया गया है।

वहीं ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। 21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक, ब्रह्मोस मैच 3.5 यानी 4,300 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार से उड़ सकती है इसे पनडुब्‍बी, जंगी जहाज, एयरक्राफ्ट या फिर जमीन से लांच किया जा सकता है।

ब्रह्मोस में से ब्रहम का मतलब ‘ब्रह्मपुत्र’ और मोस का मतलब ‘मोस्‍कवा’। यानी दोनों देशों की एक-एक नदी के नाम से मिलाकर इस मिसाइल का नाम बना है। हाल ही में रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इसकी मारक क्षमता को 298 किलोमीटर से बढ़ाकर 450 किलोमीटर किया है।

​पिनाका असल में एक फ्री फ्लाइट आर्टिलरी रॉकेट सिस्‍टम है, जिसकी रेंज 37.5 किलोमीटर है। पिनाक रॉकेट्स को मल्‍टी-बैरल रॉकेट लांचर से छोड़ा जाता है। लांचर सिर्फ 44 सेकेंड्स में 12 रॉकेट्स दाग सकता है। भगवान शिव के धनुष ‘पिनाक’ के नाम पर डेवलप किए गए इस मिसाइल सिस्‍टम को भारत और पाकिस्‍तान से लगी सीमाओं पर तैनात करने के मकसद से बनाया गया है।
वहीं अपग्रेडेड शिल्का वेपन सिस्टम आसमानी आफतों से बचाता है।

यह एक ताकतवर और सटीक एयर डिफेंस सिस्टम है। इसका थ्रीडी ट्रैकिंग राडार आसमान से आने वाले हर मुसीबत को पहचान कर उसे मार गिराने में सक्षम हैं। 140 एयर डिफेंस रेजिमेंट (सेल्फ प्रोपेल्ड) की कैप्टन प्रीति चौधरी अपग्रेडेड शिल्का वेपन सिस्टम का नेतृत्व किया। कैप्टन चौधरी गणतंत्र दिवस परेड में सेना की एकमात्र महिला कंटिंजेंट कमांडर रहीं।

सुखोई- 30 जेट को ब्रह्मोस (हवा से सतह पर मार करने वाली) मिसाइलों को ले जाने के लिये संशोधित किया गया है, जिससे उन्हें लंबी दूरी के सटीक हमले करने की क्षमता मिलती है। यह एक बार में 3000 किमी. तक की दूरी तय कर सकता है तथा इसमें हवा में ही ईधन भरा जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल से लैस सुखोई- 30 एमकेआई हमारे सशस्त्र बलों के लिये गेम-चेंजर का काम करता है।

राफेल फाइटर प्लेन भारतीय वायुसेना में शामिल सबसे नया हथियार है। इसका निर्माण पहली बार मई 2001 में किया गया था। भारत के साथ ही इसका इस्तेमाल मिस्र, कतर, यूनान समेत अन्य कई देश कर रहे हैं। फ्रांस निर्मित इस डबल इंजन फाइटर प्लेन पर लगी गन एक मिनट में 2500 फायर करने में सक्षम है। राफेल का रडार सिस्टम बहुत तगड़ा है। ये 100 किलोमीटर के दायरे में एकबार में एकसाथ 40 टारगेट की पहचान कर सकता है।