सिविल परीक्षा में उम्र में छूट देने पर मोदी सरकार सहमत नहीं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने कहा कि वह सिविल सेवा परीक्षा में उम्र में छूट देने को तैयार नहीं है। हालांकि सरकार ने कहा कि वह अक्टूबर, 2020 में सिविल सेवा परीक्षा में अंतिम प्रयास देने वालों को एक और मौका देने को अब भी तैयार है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने कहा कि सरकार उम्र में किसी तरह का छूट देने में असमर्थ है। उन्होंने कहा कि सरकार अब भी इस बात पर कायम है कि अक्टूबर 2020 में सिविल सेवा परीक्षा में अंतिम प्रयास देने वालों को एक और मौका दिया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अदालत के कहने पर ही सरकार उसके लिए सहमत हुई थी। एएसजी एस बी राजू ने कहा कि कोविड-19 के कारण सभी लोग प्रभावित हुए। ऐसे में यह कहना कि परीक्षार्थियों का एक समूह प्रभावित हुआ है, यह सही नहीं है। अगर छात्रों के एक समूह को रियायत दी गई तो दूसरे परीक्षार्थी भी अतिरिक्त मौका देने की मांग करेंगे और यह सिलसिला अनवरत चलता रहेगा।
उन्होंने कहा कि यह नीतिगत मामला है। राजू ने कहा कि फरवरी, 2020 में परीक्षा की अधिसूचना जारी की गई । शुरुआत में प्रारंभिक परीक्षा मई में होनी थी जो अक्टूबर में हुई। ऐसे में परीक्षार्थियों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिला था। यानी परीक्षार्थियों को पांच महीने का समय मिला।
वही यूपीएससी की ओर से पेश वकील ने कहा कि गत वर्ष एनडीए, इंजीनियरिंग सर्विसेज आदि की भी परीक्षाएं हुई थी। लेकिन इन मामलों में छात्रों ने कोई शिकायत नहीं की थी। एएसजी ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील का विरोध किया कि उम्र में रियायत न देना भेदभाव है। उन्होंने कहा कि भेदभाव तो उनके लिए भी है जो पहली बार परीक्षा दी थी।