अफगानिस्तान में घुसने की फिराक में कई देश
नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद ऐसा खालीपन नहीं बनना चाहिए कि विघटनकारियों को वहां पहुंचने का मौका मिल जाए। उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान में संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है। जनरल रावत ने रायसीना संवाद में कहा कि अफगानिस्तान के विकास में भारत जो भी मदद दे सकता है और वहां शांति बहाल करने में जो कर सकता है, ऐसा करने में उसे खुशी होगी। अगर अमेरिका की राय है कि उसके सैनिकों तथा नाटो सहयोगियों के बलों की वापसी से अफगानिस्तान में शांति आएगी तो भारत ऐसी स्थिति उभरते हुए देखकर खुश होगा।
जनरल रावत ने डिजिटल सम्मेलन में कहा, ”लेकिन हमारी चिंता है कि जो निर्वात बनेगा उसमें विघटनकारियों के घुसने की जगह नहीं होनी चाहिए और इस तरह अफगानिस्तान में हिंसा जारी नहीं रहनी चाहिए हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि विघटनकारियों से उनका आशय किससे है। यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान और ईरान ही वो अन्य विघटनकारी थे, जिनका वे उल्लेख कर रहे थे, इस पर CDS ने कहा कि वह किसी भी देश का नाम नहीं लेना चाहेंगे, लेकिन कई देश इस बन रही जगह में घुसने के अवसर को देख रहे थे।
जनरल रावत ने कहा अफगानिस्तान एक ऐसा राष्ट्र है जो संसाधनों में समृद्ध है और ऐसे कई देश हैं जिन्हें हम जानते हैं कि जो अपने स्वयं के लाभ के लिए अन्य देशों के संसाधनों का दोहन करते हैं। इसलिए, अगर ऐसा होने वाला है, तो इसे रोका जाना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना चाहिए कि अफगानिस्तान अफ़गानों के लिए है।
बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बुधवार को घोषणा की कि अफगानिस्तान में करीब दो दशक के बाद इस साल 11 सितंबर तक वहां से सभी अमेरिकी सैनिकों को वापस बुला लिया जायेगा। उन्होंने बुधवार को कहा कि यह अफगानिस्तान में अमेरिका की सबसे लंबी लड़ाई के समापन का वक्त है और यह एक ऐसी जिम्मेदारी है, जिसे वह अपने उत्तराधिकारी पर नहीं छोड़ना चाहते हैं।
बाइडन ने देश को अपने संबोधन में कहा कि अमेरिका इस जंग में लगातार संसाधनों की आपूर्ति नहीं करता रह सकता। बता दें कि गठबंधन सहयोगियों के अलावा, अफगानिस्तान में 2,500-3,500 अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं।