बंगाल में एक साथ कराए जा सकते हैं अंतिम 2 चरणों के मतदान
कोलकता । पश्चिम बंगाल में पांच चरणों के चुनाव हो चुके हैं और अभी तीन चरण के लिए वोटिंग होना बाकी है। इस बीच कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या बंगाल में बाकी चरणों के चुनावों को एक साथ नहीं कराया जा सकता? हालांकि, पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त चुनाव पर्यवेक्षकों ने इशारा किया है कि अंतिम के दो चरणों के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। इस मामले से परिचित एक सीनियर चुनाव अधिकारी ने कहा कि चुनाव पर्यवेक्षकों (पोल ऑब्जर्वर) कहना है कि अगर उन्हें अतिरिक्त सुरक्षाबल दिए जाए तो आखिर के दो चरणों के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं।
बंगाल में 22 अप्रैल को छठे चरण का मतदान है, वहीं 26 को सांतवें और 29 को 8वें चरण का मतदान है। दरअसल, चुनाव पर्यवेक्षकों (अजय नायक और विवेक दूबे) ने पिछले सप्ताह के अंत में भारतीय चुनाव आयोग को इस बारे में एक चिट्ठी लिखी थी, मगर चुनावी समिति (पोल पैनल) ने अब तक उनके सुझावों का जवाब नहीं दिया है। बंगाल में आठ चरणों के मतदान में 6ठे चरण के तहत 43 सीटों पर 22 अप्रैल को मतदान होगा। बता दें कि देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पश्चिम बंगाल में बाकी चरणों के मतदान एक साथ कराने की मांग कई बार की जा चुकी हैहै। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को भी चुनाव आयोग से राज्य में बाकी बचे चरणों के चुनाव एक साथ कराने की अपील की है। चुनाव पर्यवेक्षकों के इस चिट्ठी को देखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि मौजूदा वक्त में बंगाल में सुरक्षाबलों की 1000 कंपनियां तैनात हैं। अगला चरण बहुत करीब है, इसलिए उसके बारे में कुछ नहीं किया जा सकता। क्योंकि चुनाव आयोग कोरोना महामारी की गंभीरता से वाकिफ है, इसलिए पर्यवेक्षकों ने अंतिम दो चरणों के चुनाव के विलय का सुझाव दिया था। अगर ऐसा किया जाता है तो 500 अतिरिक्त कंपनियों की ज़रूरत होगी। बता दें कि अर्धसैनिक बलों की प्रत्येक टुकड़ी (कंपनी) में 80 कर्मी होते हैं।
अधिकारी ने आगे कहा कि पत्र में इस बात का जिक्र किया गया है कि बंगाल के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के ऑफिस के कम से कम 25 स्टाफ कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं और दो उम्मीदवारों की कोरोना से मौत हो चुकी है। चुनाव आयोग के अधिकारी ने कहा कि राज्य में दोबारा चुनाव (री-पोल) 13 मई या 14 मई को कराए जा सकते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा था कि अंतिम दो चरणों के विलय का कोई प्रस्ताव नहीं था। पिछले सप्ताह चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा था कि सर्वदलीय बैठक में भी इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं आया था। जब चुनाव पर्यवेक्षकों की चिट्ठी के बारे में पूछा गया तो चुनाव आयोग के एक अन्य अधिकारी ने नाम न जाहिर होने देने की शर्त पर कहा कि संभव है कि चुनाव पैनल दो कारणों से पर्यवेक्षकों की सिफारिश को स्वीकार नहीं कर सकता। उन्होंने बताया, ‘अतिरिक्त बल चुनाव का महज एक हिस्सा है। ये देशभर में तैनात हैं और उन्हें बंगाल भेजने के लिए अग्रिम सूचना की जरूरत होती है और आदर्श रूप से तीन से चार महीने पहले उन्हें नोटिस दिया जाता है।