बंगाल में मिलने वाला ट्रिपल म्यूटेंट वेरिएंट
कोलकत्ता । देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में पुराने सभी रिकॉर्ड्स लगातार टूट रहे हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी होने लगी है, जिसकी वजह से वहां भर्ती हजारों मरीजों की जान खतरे में आ गई है। गुरुवार को देश में 3.14 लाख नए कोरोना के मामले मिले। यह महामारी की शुरुआत के बाद अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इतनी बड़ी संख्या में कोरोना के नए मरीज मिलने की वजह से लोग भयभीत हो गए हैं तो वहीं, इस बीच बंगाल में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट पाया गया है, जिसने खलबली मचा दी है। इस वेरिएंट का नाम ट्रिपल म्यूटेंट है, जिसे कोरोना वायरस का बंगाल स्ट्रेन भी कहा जाता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह नया वेरिएंट कहीं अधिक संक्रामक है और काफी तेजी से फैलता है।
विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, यह नया वेरिएंट पश्चिम बंगाल में तेजी से फैल रहा है और नई दिल्ली व महाराष्ट्र में भी पाया गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वैक्सीन पर यह वेरिएंट कितना असरदार साबित होगा, इसके बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं दी जा सकती है और न ही इसके अंतिम सबूत भी हैं। हालांकि, E484K म्यूटेशन ने चिंताएं तो और अधिक बढ़ा ही दी हैं। E484K एक प्रमुख इम्यून एस्केप वेरिएंट है और जोकि दुनियाभर में उभरते हुए वंशों में पाया जाता है। इम्यून एस्केप वेरिएंट वे म्यूटेशन हैं जो वेरिएंट को इम्यून सिस्टम से बाहर निकालने में मदद करते हैं और संभवत: वैक्सीन प्रभावकारिता से समझौता करते हैं। जैसा कि नाम से पता चल रहा है, एक ‘ट्रिपल म्यूटेंट वेरिएंट’ तब बनता है जब वायरस के तीन म्यूटेशन मिलकर एक नया वेरिएंट बनाते हैं। ‘ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट’ भारत में पहचाने जाने वाले SARS-CoV-2 वायरस का दूसरा वंश है। इसे ‘B.1.618’ कहा जा रहा है, और यह ज्यादातर पश्चिम बंगाल में पाया जा रहा है। नई दिल्ली स्थित काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ जेनोमिक एंड इंटरग्रेटिव बायोलॉजी के रिसर्चर विनोद स्कारिया ने ट्विटर पर कई जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में एक मरीज से लिए गए नमूनों में इस संस्करण का सबसे पहला अनुक्रम पिछले साल 25 अक्टूबर को अलग किया गया था। सबसे ताजा डिटेक्शन 17 मार्च को किया गया। जहां इस वेरिएंट का वंश प्रमुख तौर पर भारत में पाया जा रहा है, कई मेंबर्स अमेरिका, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड और फिनलैंड में भी पाए गए है।
विनोद स्कारिया के अनुसार, पश्चिम बंगाल में हाल के महीनों में ‘ट्रिपल म्यूटेंट वेरिएंट’ का अनुपात काफी बढ़ रहा है। उन्होंने हालांकि कहा कि इस संस्करण के बारे में बहुत कुछ अज्ञात है और इस पर अधिक रिसर्च किए जाने की जरूरत है। वहीं, द हिंदू की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ट्रिपल म्यूटेंट वेरिएंट में इस साल जनवरी से मार्च के बीच पश्चिम बंगाल में जीनोम के 15 फीसदी शामिल हो सकते हैं। ट्रिपल म्यूटेंट कितना खतरनाक है, इसके बारे में सटीक जवाब तो नहीं दिया जा सकता है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि संभवत: यह वेरिएंट अन्य वेरिएंट्स की तुलना में काफी अधिक संक्रामक है। एनडीटीवी के साथ इंटरव्यू में मैकगिल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. मधुकर राय ने बताया कि यह ट्रांसमिसिबल वेरिएंट है। यह बड़ी संख्या में काफी तेजी से लोगों को बीमार बना रहा है।