कोविशील्ड की दो खुराकों के अंतराल को घटाने पर विचार कर रही सरकार
नई दिल्ली । भारत में लग रही ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकों के बीच अंतराल घटाने पर एक बार फिर से विचार किया जा रहा है। कोरोना टीकाकरण की रणनीति से जुड़े सरकार के एक्सपर्ट्स इसको लेकर कई दौर की बैठकें भी कर चुके हैं, ताकि कम-से-कम उन लोगों को कम अंतराल पर टीका मिल सके जिनको सबसे ज्यादा खतरा है। दरअसल, यह सबूत मिले हैं कि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की वजह से अस्पतालों में भर्ती होने और संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है और कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकों के बीच अंतराल घटाने से इस वैरिएंट से सुरक्षा होती है। इससे पहले 13 मई को ही भारत ने कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच के अंतराल को बढ़ाकर कम-से-कम 12 हफ्ते और अधिकतम 16 हफ्ते किया था।
इसको लेकर यूके के डेटा का हवाला दिया गया था लेकिन तीन दिन बाद ही यूके ने खुद अंतराल घटाकर 12 से 8 हफ्ते कर दिया। डेल्टा वैरिएंट के खतरे को भांपते हुए यह अंतराल 50 या उससे ज्यादा आयु के लोगों के लिए घटाया गया। यूके में कोरोना का डेल्टा वैरिएंट फिर से फैलने लगा है। यूके ने ताजा आंकड़े जारी किए, जिसके मुताबिक जिन लोगों ने ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका के टीके की दोनों खुराकें ले ली हैं, उन्हें अस्पतालों में भर्ती नहीं होना पड़ा। वहीं, जिन्होंने सिर्फ एक खुराक ली है, ऐसे लोगों में अस्तापताल में भर्ती होने की आशंका ज्यादा था। सोमवार को ही यूके में टीके के बीच का अंतराल 40 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए भी घटा दिया गया। अब भारत में भी बड़ी संख्या में एक्सपर्ट्स सरकार से अंतराल घटाने को कह रहा है।
डेल्टा वेरिएंट को ही यहां भी सबसे खतरनाक स्ट्रेन माना जा रहा है। पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘8 हफ्ते के अंतराल पर विचार चल रहा है। एक बार फैसला होने पर यह मामला नेशनल ग्रुप ऑन वैक्सीन ऐडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 के पास जाएगा। वैक्सीन को लेकर कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरमैन डॉक्टर एनके अरोड़ा कहते हैं, ‘हम अंतराल की समीक्षा करने को तैयार हैं। यह एकदम गलतफहमी है कि हम अंधे होकर पश्चिम का अनुसरण कर रहे हैं। सच यह है कि हम वैक्सीन से जुड़े फैसले लेने के लिए तमाम देशों में हो रहे अध्ययनों पर ध्यान दे रहे हैं। हम भारत में 4 हफ्ते के अंतराल पर टीका दे रहे थे, जब यूके में यह अंतराल 12 हफ्ते थे। इसलिए लोगों को लगा कि हमने ब्रिटेन के पीछे-पीछे चल अंतराल बढ़ाया लेकिन हमारे फैसले उन आंकड़ों पर होते हैं, जो हमारे लोगों के लिए सबसे बेहतर हों।