दुश्मनों के आसमानी चाल को भी भारत करेगा ध्वस्त

नई दिल्ली। देश में ड्रोन हमलों के बढ़ते खतरे के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय विदेशों से एंटी ड्रोन तकनीक खरीदने के साथ-साथ देश में निर्मित तकनीक को भी लेने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इस संदर्भ में डीआरडीओ की तकनीक की खरीद के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद को प्रस्ताव भेजा जा सकता है।

बता दें कि डीआरडीओ ने एंटी ड्रोन तकनीक विकसित की है, जिसका कई मौकों पर वीआईपी सुरक्षा में इस्तेमाल भी किया जा चुका है। कुछ समय पूर्व जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले के बाद तीनों सेनाएं, केंद्रीय सुरक्षा बल एवं राज्य पुलिस ऐजंसियों की तरफ से एंटी ड्रोन तकनीक हासिल करने के प्रयास तेज हो गए हैं।

सेनाओं के लिए इजरायल की एंटी ड्रोन तकनीक भी खरीदने के प्रयास चल रहे हैं जिसमें एक डिवाइस होती है जिसे राइफल पर फिट करके उड़ते ड्रोन पर निशाना लगाया जा सकता है। डीआरडीओ की एंटी ड्रोन तकनीक कहीं ज्यादा प्रभावी है। इसके जरिये तीन-चार किलोमीटर के दायरे में ड्रोन की फ्रीक्वेंसी को जाम किया जा सकता है तथा लेजर वैपन से हमला कर उसे नष्ट किया जा सकता है।

इसे पिछले साल 15 अगस्त को लालकिले की सुरक्षा में भी तैनात किया गया था। हाल में आंध्र प्रदेश सरकार ने इसे तिरुमला मंदिर में तैनात करने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार इस बीच डीआरडीओ की तरफ से सेना एवं सुरक्षा बलों को कई चरणों में एंटी ड्रोन तकनीक के प्रजेंटेशन दिए गए हैं।

सशस्त्र बलों की तरफ से सकारात्मक फीडबैक मिला है। इसलिए कुछ संवेदनशील स्थानों पर तैनाती के लिए इस तकनीक को खरीदा जा सकता है। सूत्रों के अनुसार यदि सुरक्षाबलों के लिए डीआरडीओ की एंटी ड्रोन तकनीक की खरीद का फैसला होता है तो इसके निर्माण के लिए रणनीतिक भागीदारी में निजी क्षेत्र की मदद ली जा सकती है। इससे कम समय में इसका ज्यादा संख्या में निर्माण करना संभव हो सकेगा।