दिल्ली नगर निगम को सड़कों से वाहन जब्त करने का अधिकार नहीं: हाईकोर्ट
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली नगर निगम सार्वजनिक भूमि और सड़कों पर अवैध रूप से खड़े वाहनों को न तो जब्त कर सकती है और न ही जुर्माना वसूल सकती है। कोर्ट ने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से पार्किंग किए वाहन को जब्त करने और जुर्माने लगाने के पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला दिया है।
जस्टिस संजीव सचदेवा ने अपने फैसले में कहा कि नगर निगम ऐसा कोई आदेश वा सर्कुलर पेश नहीं कर पाया जिसमें सड़कों निगम भूमि पर अवैध रूप से खड़े वाहनों से जुर्माना वसूलने का प्रावधान हो। इतना ही नहीं, कोर्ट ने कहा कि न तो दिल्ली नगर निगम अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान है और न ही नगर निगम ने आज तक कोई नियम बनाए हैं, जिसमें सार्वजनिक भूमि पर खड़े वाहनों को हटाने जब्त करने का प्रावधान हो।
हाईकोर्ट ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम की उन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि 1999 और 2018 को जारी सर्कुलर के तहत उसे इस तरह के मामलों में कार्रवाई करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि निगम जिस सर्कुलर का हवाला दे रहा है वह इस मामले में लागू नहीं होता क्योंकि यह सरकारी जमीन पर अवैध पार्किंग का मामला है, जबकि सर्कुलर रेहड़ी-पटरी, सड़कों पर वाहन खड़े कर सामन बेचना और अन्य वाणिज्यिक गतिविधि से जुड़ा है।
हाईकोर्ट ने साथ ही, पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा 12 फरवरी को गीता कॉलोनी श्मशान घाट के सामने सार्वजनिक स्थान पर खड़े वाहन (ट्रक-टाटा 407) को जब्त करने के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही, निगम से तत्काल याचिकाकर्ता राहुल कुमार को उनका वाहन सौंपने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने वाहन मालिक राहुल कुमार की याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि जहां तक इस मामले में सवाल है तो यह पूरी तरह से सार्वजनिक भूमि पर अवैध पार्किंग का मामला है। कोर्ट ने कानून और नियमों का हवाला देते हुए कहा कि वाहन जब्त करने से पहले नगर निगम को पहले कारण बताओ नोटिस जारी करना चाहिए। इतना ही नहीं, नगर निगम को वाहन मालिक को इस बात की हिदायत भी देनी चाहिए थी कि अवैध पार्किंग का परिणाम क्या हो सकता है।