खरबों डॉलर और हजारों सैनिकों को खोने के बाद अमेरिका को हो रहा पछतावा
नई दिल्ली। अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी पूरी तरह से हो गई है और इस तरह से 19 साल, 10 महीने और 25 दिन बाद यानी करीब 20 साल बाद एक बार फिर अफगानिस्तान पर तालिबान का पूरी तरह से कब्जा हो गया है। अफगानिस्तान से पूरी तरह निकलने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भले ही कहा हो कि अफगानिस्तान में उनका मिशन सफल रहा, मगर देश को संबोधित करते वक्त उनकी बातों से ऐसा भी लगा जैसे अमेरिका को पछतावा भी है, क्योंकि उन्होंने कहा कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तो जारी रखेंगे, मगर किसी देश में आर्मी बेस नहीं बनाएंगे।
बता दें कि अमेरिका ने 9/11 हमले के बाद करीब 7 अक्तूबर, 2001 से अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ अपना अभियान शुरू किया था। जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया उस वक्त वहां पर तालिबान का ही शासन था। अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को पहली बार देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हमारा मिशन कामयाब रहा। साथ ही उन्होंने आतंकवाद से लड़ाई जारी रखने की बात एक बार फिर से दोहराई।
बाइडेन ने कहा कि हम अफगानिस्तान समेत दुनिया भर में आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहेंगे। मगर अब किसी देश में आर्मी बेस नहीं बनाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे यकीन है अफगानिस्तान से सेना बुलाने का फैसला, सबसे सही, सबसे बुद्धिमानीपूर्ण और बेस्ट है। अफगानिस्तान में युद्ध अब खत्म हो चुका है। मैं अमेरिका का चौथा राष्ट्रपति था, जो इस सवाल का सामना कर रहा था कि इस युद्ध को कैसे खत्म किया जाएगा।
मैंने अमेरिकी लोगों से कमिटमेंट किया था कि यह युद्ध खत्म करुंगा और मैंने अपने फैसले का सम्मान किया। हमारे सैनिकों ने दूसरों की सेवा करने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी। यह युद्ध का मिशन नहीं था, बल्कि दया का मिशन था। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने जो कर दिखाया, इतिहास में कभी किसी ने नहीं किया है। बाइडेन ने अमेरिका से फौजों को बुलाने के फैसले पर एक बार फिर सफाई दी।
उन्होंने कहा कि यह फैसला रातों-रात नहीं लिया गया। इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया पूरी की गई। बड़ी संख्या में लोगों इस पर अपनी राय दी। अमेरिकी फौज से जुड़े तमाम लोगों से रायशुमारी की। इसके बाद यह फैसला किया गया। हमारी मौजूदगी में लंबे समय तक वहां शांति बनी रही।
एक लाख 25 हजार लोग निकाले गए। हमने पेशेवर तरीके से लोगों को निकाला। अभी 100 से 200 अमेरिकी वहां रह गए हैं। 90 फीसदी अमेरिकी लोगों को निकाला गया। जो लोग वहां से अमेरिका आना चाहते हैं आ सकेंगे। जो अमेरिका ने किया वो गर्व की बात अफगानिस्तान में हमारा मिशन कामयाब रहा। जो हमने किया वो भुलाया नहीं जा सकेगा। अफगानिस्तान के बचाव की प्रक्रिया पूरी हुई।