दुनिया भर के सिर्फ आधे स्कूलों में फिर से शुरू हुई है पढ़ाई
नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया भर में स्कूल बंद होने के 19 महीने बाद, केवल आधे स्कूलों ने कक्षाओं में पढ़ाई फिर से शुरू की है, जबकि लगभग 34 प्रतिशत स्कूल मिश्रित शिक्षण माध्यम यानी कक्षा में बुलाकर और ऑनलाइन दोनों ही तरीकों से पढ़ाई पर निर्भर हैं। कोविड-19 वैश्विक शिक्षा रिकवरी ट्रैकर से यह जानकारी मिली है।
इस ट्रैकर को संयुक्त रूप से जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय, विश्व बैंक और यूनिसेफ द्वारा 200 से अधिक देशों में स्कूलों को फिर से खोलने और कोविड-19 के बाद स्वास्थ्य लाभ की योजना बनाने के प्रयासों पर नजर रखकर देशों के निर्णय लेने में सहायता के लिए बनाया है। पता लगाए आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में 80 फीसदी स्कूल नियमित सत्रों का संचालन कर रहे हैं।
उनमें से, 54 प्रतिशत व्यक्तिगत रूप से शिक्षण की तरफ लौट गए हैं, 34 प्रतिशत मिश्रित शिक्षण पर निर्भर हैं, जबकि 10 प्रतिशत दूरस्थ शिक्षा दे रहे हैं और दो प्रतिशत में किसी तरह से पढ़ाई नहीं हो रही है। ट्रैकर ने उल्लेख किया कि केवल 53 प्रतिशत देश टीकाकरण करा चुके शिक्षकों को प्राथमिकता दे रहे हैं वहीं, विश्व बैंक ने सिफारिश की है कि देशों को स्कूलों को फिर से खोलने से पहले अपनी आबादी या स्कूल के कर्मचारियों को पूरी तरह से टीका लगाने के लिए इंतजार नहीं करना चाहिए।
विश्वबैंक की शिक्षा टीम की एक रिपोर्ट में कहा गया, “शिक्षा की बहाली को बढ़ावा देने के लिए, जहां संभव हो, टीकाकरण के लिए शिक्षकों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए लेकिन यह भी मानना चाहिए कि पर्याप्त सुरक्षा कदमों के जरिए टीकाकरण के बिना भी सुरक्षित रूप से स्कूलों को फिर से खोलने के तरीके हैं।
यह देखते हुए कि दुनिया भर में फिर से खुले स्कूलों ने आसान एवं तुलनात्मक रूप से किफायती संक्रमण नियंत्रण रणनीतियां जैसे मास्क, वेंटिलेशन और शारीरिक दूरी के साथ स्कूलों में संक्रमण को प्रभावी ढंग से रोका है और यह ध्यान में रखते हुए कि ज्यादातर देशों में व्यापक टीकाकरण आने वाले कई महीनों में संभावित नहीं हैं।
इस कारण स्कूलों को तब तक बंद रखना जब तक कि सभी कर्मचारियों को टीका न लग जाए, यह संक्रमण को कम करने के लिहाज से कोई फायदा नहीं देगा, लेकिन बच्चों के लिए यह संभवत: महंगा साबित हो सकता है।’’ विश्व बैंक स्कूलों को फिर से खोलने और दुनिया भर में स्कूलों के लंबे समय तक बंद रहने से जुड़े जोखिमों का मूल्यांकन करने की वकालत करता रहा है।