बिहार में लापरवाही की हदें पार, मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने वाले 15 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ीं
नई दिल्ली/पटना। मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन के बाद आंख गंवाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। मेडिकल कॉलेज में गंभीर रूप से संक्रमित नौ और पीड़ितों की आंख निकालनी पड़ी। इससे आंख गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है। बुधवार को नौ नए मरीज मेडिकल कॉलेज में भर्ती किए हैं।
जांच के बाद इनकी आंख निकालने पर फैसला होगा। ऑपरेशन कर रहे डॉक्टरों के अनुसार संख्या बढ़ सकती है। दूसरी ओर, 22 नवंबर को ऑपरेशन कराने वाले सभी लोगों में संक्रमण की आशंका के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें उनके हाल पर छोड़ रखा है। लगभग 50 पीड़ितों के बारे में न तो विभाग के पास पर्याप्त जानकारी है और न ही उनकी कोई खोज-खबर ली जा रही है। घटना सामने आने के 3 दिन बाद बुधवार को सीएस जागे और आई अस्पताल को पत्र भेजकर पीड़ितों का ब्योरा व अस्पताल से जुड़े दस्तावेज मांगे।
वह भी तब जब मुख्यालय ने उनसे पूरी जानकारी तलब की। इस बीच, डीएम ने पीड़ितों को मुख्यमंत्री सहायत कोष से मुआवजा देने की बात कही है। इससे पहले, दो पीड़ितों की आंख निकाली गई थी, जबकि ऑपरेशन के दूसरे दिन 22 नवंबर को आई अस्पताल ने मामला दबाने के लिए आनन-फानन में चार मरीजों की आंख निकाली थी।
मुजफ्फरपुर के साथ ही पटना में यह मामला गरमाया रहा। स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह सहित कई अन्य आला अधिकारियों के फोन आने के बाद सीएस डॉ. विनय कुमार शर्मा टीम के साथ अस्पताल पहुंचे। उन्होंने अस्पताल के सहायक प्रशासक दीपक कुमार से लंबी पूछताछ की।
सीएस ने अस्पताल में तैनात डॉक्टर से लेकर पारा स्टाफ तक की पूरी जानकारी मांगी है। उनकी शैक्षणिक योग्यता से लेकर वेतन या मानदेय तक के कागजात दो दिनों के अंदर उपलब्ध कराने को कहा। बाद में पूरे मामले की जांच कर रहे एसीएमओ की टीम भी पहुंची। मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में बुधवार ओपीडी भी बंद हो गई।
बड़ी संख्या में आंख दिखाने के लिए आए मरीजों का लौटना पड़ा। कई वैसे लोग भी पहुंचे थे जिन्हें पहले ही ऑपरेशन की तारीख दी गई थी। अस्पताल के प्रशासनिक भवन में गहमा-गहमी बनी रही मगर ओटी से लेकर वार्ड तक में सन्नाटा पसरा रहा।