आम आदमी को मिलेगी EMI में राहत

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा नीति बैठक का आज फैसला आएगा। बीते 4 महीनों की दो मौद्रिक समीक्षाओं में आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन यह आश्वासन दिया कि इस पर आगे फैसला हो सकता है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार र दो तिमाही में जीडीपी की नकारात्मक दर ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी में ला दिया है। साथ ही खुदरा महंगाई अक्तूबर में बढ़कर 7.61 फीसदी पर पहुंच गई है। ऐसे में ब्याज दर में कटौती कर कर्ज सस्ता करना मुश्किल होगा।

उल्लेखनीय है कि महंगाई की दर लगातार रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य 4 फीसदी से ऊपर बनी हुई है। कोटक महिंद्रा एएमसी के अध्यक्ष और सीआईओ (ऋण), लक्ष्मी अय्यर ने कहा कि ऐसे में आने वाली मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश सीमित है। इस स्थिति में अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआई दूसरे उपाय को अपना सकता है।

गौरतलब है कि 2 दिसंबर से मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक शुरू हुई थी और समिति आज 4 दिसंबर को मौद्रिक पॉलिसी की घोषणा करेगी। कोरोना संकट के बीच बढ़ती महंगाई चिंता का विषय बन गया है। अक्तूबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 7.61 फीसदी पर पहुंच गई जो आरबीआई के लक्ष्य चार फीसदी से काफी अधिक है। खाने-पीने की चीजें महंगी होने से महंगाई में उछाल आया है। ऐसे में महंगाई पर काबू आरबीआई के लिए बड़ी चुनौती बनने वाली है।

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है। दूसरी तिमाही में भी जीडीपी 7.5 फीसदी गिरी है। बढ़ती महंगाई के बीच मांग बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। अगर, मांग बढ़ाने के लिए आरबीआई ब्याज दर सस्ता करता है तो महंगाई औैर तेजी से बढ़ेगी। इस दोहरी चुनौती से आरबीआई को आगामी मौद्रिक समीक्षा में निपटने के लिए उपाय करने होंगे।