कोरोना का नया वोरिएंट डेल्टा से भी ज्यादा खतरनाक, वैक्सीन को भी दे सकता है चकमा
नई दिल्ली | कोरोना वायरस का डेल्टा से ज्यादा संक्रामक रूप दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना में मिला है। इससे अधिक तेजी से संक्रमण फैलने की आशंका है। बोत्सवाना में मिला यह वेरिएंट अब तक वायरस का सबसे उत्परिवर्तित स्वरूप है। कोरोना के बी.1.1.529 वेरिएंट का नाम न्यू रखा जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों ने गुरुवार को इस नए कोरोना वेरिएंट पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की। अब तक इस वेरिएंट के 26 मामले सामने आए हैं। लेकिन यह तीन देशों बोत्सवाना (3), दक्षिण अफ्रीका (22) और हांगकांग (1) में फैल चुका है। विशेषज्ञों ने इस वेरिएंट को अत्यधिक संक्रामक बताया है। इस वेरिएंट में अब तक 32 उत्परिवर्तन देखने को मिले हैं। इसके चलते इसे अत्यधिक संक्रामक बताया जा रहा है। इसे टीका प्रतिरोधी भी बताया जा रहा है। साथ ही इसके स्पाइक प्रोटीन में किसी अन्य वेरिएंट की तुलना में भी अधिक परिवर्तन पाया गया है। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान- नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) ने पुष्टि की कि दक्षिण अफ्रीका में बी.1.1.529 का पता चला है और जीनोम अनुक्रमण के बाद 22 मामलों की पुष्टि हुई है। एनआईसीडी के कार्यवाहक कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर एड्रियन प्यूरेन ने कहा कि इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि दक्षिण अफ्रीका में एक नए स्वरूप का पता चला है। हालांकि आंकड़े अभी सीमित हैं।
हमारे विशेषज्ञ नए स्वरूप को समझने के लिए सभी स्थापित निगरानी प्रणालियों के साथ लगातार काम कर रहे हैं।यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के आनुवंशिकीविद् प्रोफेसर फ्रेंकोइस बलौक्स ने कहा कि यह वेरिएंट संभवत: एक बेहद कम प्रतिरक्षा वाले मरीज में लंबे समय तक रहने वाले संक्रमण से उभरा है। उन्होंने कहा कि संभवत: इस मरीज को एड्स रहा होगा। बलौक्स ने बताया कि वेरिएंट के स्पाइक में होने वाले बदलाव की वजह से वर्तमान में मौजूद वैक्सीन को यह वायरस आसानी से चकमा देने में सक्षम है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये वैक्सीन वायरस के पुराने स्वरूप से लड़ने में सक्षम है।
इंपीरियल कॉलेज के वायरोलॉजिस्ट डॉ. टॉम पीकॉक ने वेरिएंट के उत्परिवर्तन के संयोजन को बेहद खतरनाक बताया है। उन्होंने चेतावनी दी कि बी.1.1.529 वेरिएंट अब तक मिले सभी वेरिएंट में सबसे खतरनाक हो सकता है। ये वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा संक्रामक है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने बताया कि ज्यादा संख्या में होने वाला उत्परिवर्तन इसके खिलाफ भी काम कर सकता है। इसकी यही खामी इसे अस्थिर बना बना सकती है जिससे इसे फैलने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि अभी ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं कि यह तेजी से फैल रहा है।