नये वायरस पर फेल हो रहे आरटी-पीसीआर टेस्ट
नई दिल्ली । कोरोना वायरस की इस दूसरी लहर ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया है। वायरस का यह नया स्ट्रेन पिछले वायरस से ज्यादा खतरनाक मालूम हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह सभी उम्र के लोगों को पर बराबर असर करता है। बता दें कि कुछ ऐसे मामले भी रिपोर्ट किए गए जिनमें कहा गया कि आरटी-पीसीआर टेस्ट कराने पर भी यह वायरस पकड़ा नहीं जा रहा है और रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, हालांकि मरीज को लक्षण पूरे होते हैं। इस मामले पर केंद्र सरकार ने अपना बयान जारी किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में पाए जाने वाले कोरोना वायरस के इस वैरिएंट की झूठी या गलत रिपोर्ट आने की संभावना ही नहीं है। पूरे देश में संक्रमित मरीज गंभीर परिणामों के साथ नकारात्मक परीक्षण करते हैं। सरकार ने कहा कि आरटी-पीसीआर परीक्षणों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किट दो से अधिक जीनों के लिए जांच करती है, जिससे उनके सैंपल को नजरअँदाज करने या छोड़ने संभावना कम हो जाती है यदि इसमें उत्परिवर्तन के साथ एक प्रकार होता है जो जीन को को बदलता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, “भारत में उपयोग किए जा रहे आरटी-पीसीआर परीक्षण इन म्यूटेशनों को याद नहीं करते हैं क्योंकि भारत में आरटी-पीसीआर परीक्षण दो जीन से अधिक का उपयोग किया जा रहा है। आरटी-पीसीआर परीक्षणों की संवेदनशीलता और विशिष्टता पहले की तरह बनी हुई है। दिल्ली में प्रयोगशाला मालिकों का कहना है कि आरटी-पीसीआर परीक्षण किट समय-समय पर अपडेट किए जाते हैं।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में पल्मोनोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ राजेश चावला ने कहा, “आरटी-पीसीआर परीक्षण की संवेदनशीलता (वास्तविक सकारात्मक का पता लगाने की क्षमता) 70% है। वर्तमान में किए जा रहे परीक्षणों में नमूनों को इकट्ठा करने या संभालने में त्रुटि हो सकती है जो एक झूठी नकारात्मक रिपोर्ट को जन्म दे सकती है। यह भी हो सकता है कि वायरल लोड कम होने पर संक्रमण के तुरंत बाद या कई दिनों बाद लोगों ने टेस्ट कराया हो चावला ने कहा कि यह जरूरी है कि कोरोना के लक्षण होने पर लोग एक-दूसरे से दूर रहे हैं अगर उनकी टेस्ट रिपोरिट निगेटव आई हो फिर भी।