राज्यों पर अतिरिक्त वित्तीय भार को वहन करे केन्द्र: कटारिया

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नई दिल्ली/जयपुर। केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं को राज्यो में कार्यान्वित करने के वर्तमान शेयरिंग फामूर्ले से राज्यों पर पड़ने वाले अतिरिक्त वित्तीय भार को केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए। रविवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित अंतर्राज्यीय परिषद की स्थायी समिति की ११वीं बैठक के दौरान राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने यह सुझाव दिया।

कटारिया ने कहा कि पहले अधिकांश केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के लिए केन्द्र-राज्यों के बीच वित्तीय भागीदारी का पैटर्न ७५: २५ का होता था परंतु अब ६०: ४० कर देने से राज्यों को २५ प्रतिशत अंशदान की जगह ४० प्रतिशत वित्तीय अंशदान देना पड़ता है जिससे राज्यों पर लगातार वित्तीय भार बढ़ रहा है।

उन्होनें राजस्थान में प्रधानमंत्री आवास योजना को इस आधार पर लागू करने से आ रही वित्तीय कठिनाइNयों का जिक्र भी किया। बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह एवं केन्द्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली के सहित परिषद की स्थायी समिति के सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं मंत्रियों ने शिरकत की।

बैठक में कटारिया ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाले सैस एवं सरचार्ज में भी राज्यों को हिस्सा दिया जाना चाहिए जिससे कि राज्यों को वित्तीय दायित्वों को निभाने में आसानी हो सके।

कटारिया के आग्रह पर केन्द्रीय वित्तमंत्री ने कहा कि जी.एस.टी. के आने से इस मुद्दे का हल निकल जाएगा तथा राज्यों को वित्तीय मुआवजे के रूप में भरपाई की जावेगी। कटारिया ने पूंछी आयोग की सिफारिशों पर अपना मत रखते हुए कहा कि आयोग के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय एवं अभियांत्रिकी से जुड़ी सेवाओं को केन्द्रीय सेंवाओं में शामिल करने का सुझाव आया है।

उन्होंने कहा कि उक्त सभी राज्य विषय हैं तथा इनमें अखिल भारतीय सेवाओं से कोई लाभ नही होगा अपितु भाषा क्षेत्राीय ज्ञान की अल्पता के कारण कठिनाइयां आएंगी। अतः शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय एवं अभियांत्रिकी से जुड़ी सेवाओं को राज्यों के दायरे में रखना चाहिए।

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