4 स्टेज की सफाई, फिर दिल्ली को मिलता है ‘शुद्ध’ पानी

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नई दिल्ली। दिल्ली में पानी की गुणवत्ता को लेकर बवाल मचा हुआ है। एक तरफ केंद्र सरकार की रिपोर्ट पर भाजपा, आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है तो वहीं केजरीवाल सरकार ने केंद्र सरकार की रिपोर्ट पर कई सवाल उठाए हैं। इस बीच सोनिया विहार के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया और जानने की कोशिश की कि घरों में पहुंच रहे पानी को शुद्ध पीने योग्य बनाने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है।

140 एमजीडी का उत्पादन करने वाले सोनिया विहार वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के उस हिस्से में पहुंची, जहां गंगा नदी का पानी स्टोर किया जाता है। स्टोर किए गए पानी को कुछ दूर पाइपलाइन के जरिए फिल्टर होने भेजा जाता है। हमारी टीम उस जगह पहुंची जहां पानी को साफ करने की सबसे पहली प्रक्रिया शुरू होती है।

पानी की गुणवत्ता की जांच करने वाले दिल्ली जल बोर्ड के चीफ एनालिस्ट संजय शर्मा ने बताया कि यहां एक हिस्से में गंगा के पानी को खुले आसमान के नीचे झरने की तरह बहाया जाता है ताकि उसे ऑक्सीजन मिल सके तो वहीं दूसरे हिस्से में इस पानी मे मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए क्लोरीन इस्तेमाल किया है। लैब में पानी टेस्ट करने से पहले गंगा के पानी को रेत की मदद से फिल्टर किया जाता है और यहां से पानी के सैंपल को टेस्ट के लिए लैब में भेजा जाता है।

दिल्ली जल बोर्ड के वाईस चेयरमैन दिनेश मोहनिया का कहना है कि 4 स्टेज में पानी को साफ किया जाता। इस प्लांट से निकलने वाली पानी की हर एक बूंद को टेस्ट किया जाता है कि वो पीने योग्य है या नहीं। दिल्ली की 15 फीसदी आबादी को सोनिया विहार के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से पानी सप्लाई होता है, जिनमें साउथ दिल्ली और ट्रांस यमुना के इलाके शामिल हैं। दिनेश मोहनिया का कहना है कि जितनी संख्या में सैंपल लिए जाने चाहिए थे, वैसा केंद्र सरकार ने नहीं किया। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का कहना है कि दिल्ली जैसे शहर में 10 हजार लोगों पर एक सैंपल उठाया जाना चाहिए। ऐसे में 2 करोड़ की आबादी में सिर्फ 11 सैंपल पर भरोसा करना ठीक नहीं है। केंद्र सरकार ने जिन घरों से सैंपल लिया था, वहां सैंपल फिर से लिए जाएंगे और लैब में टेस्ट किया जाएगा। टेस्ट के बाद नतीजों को जनता के बीच रखा जाएगा।

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