स्वास्थ्य केंद्रों पर कर्मचारी हो संवेदनशील: अजय कुमार
नई दिल्ली। संसद भवन के अंदर बने मेडिकल सेंटर में सांसदों के एक्स-रे की गलत रिपोर्ट मीडिया सामने आई हैं उसको गंभीरता से उठाते हुए ‘जन स्वास्थ्य एवं समग्र मानव विकास फाउंडेशन’ के चेयरमैन व स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने का अभियान चला रहे सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने चिंता व्यक्त की है। इस संदर्भ में उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर इसके लिए उचित कदम उठाने की मांग की है। अजय कुमार ने बताया कि पीएम नरेन्द्र मोदी देश में आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हों, इसके लिए प्रयासरत हैं और इसके लिए कई सराहनीय कदम भी उठाए, लेकिन इस तरह की छोटी-छोटी पर गंभीर घटनाओं से सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से लोगों का विश्वास उठता है और सरकार के प्रयासों का उचित प्रतिफल नहीं मिल पाता।
अजय ने कहा कि केंद्र सरकार स्वास्थ्य की दिशा में बहुत ही सराहनीय कार्य कर रही है। इसका असर भी देखने को मिल रहा है, लेकिन सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात कर्मचारियों को और भी संवेदनशील बनाने की जरूरत है, ताकि इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके और पीएम मोदी के सपनों को साकार किया जा सके। अजय कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य को लेकर सरकार ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए मानसिक स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया है। यह बताता है कि स्वास्थ्य को लेकर यह सरकार कितनी गंभीर है। थोड़ी सी अधिकारियों और कर्मचारियों की संवेदनशीलता भी इस दिशा में बढ़ जाए तो सरकार के प्रयासों को बल मिलेगा।
- क्या है मामला
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल और पूर्व सांसद महाबल मिश्रा ने संसद भवन के अंदर बने मेडिकल सेंटर के स्टाफ के अनुभव पर सवाल उठाए हैं और उनकी शिकायत की है। जगदंबिका पाल ने कहा कि अनुभवहीन स्टाफ की वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा। पाल ने इस संदर्भ में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर अपनी शिकायकत दर्ज कराई थी और साथ ही मेडिकल सेंटर पर अनुभवी स्टाफ को नियुक्त करने की मांग की थी। इसके बाद पूर्व सांसद महाबल मिश्रा ने अपने एक्स-रे रिपोर्ट को लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि पार्लियामेंट हाउस के अंदर बने मेडिकल सेंटर में अनुभवहीन स्टाफ होने के कारण उनकी रिपोर्ट गलत आई।