किसानों को प्रदर्शन का अधिकार, लेकिन यातायात अवरुद्ध नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र व राज्यों से कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण एनसीआर के शहरों में लोगों को आने-जाने में हो रही परेशानी का समाधान निकाला जाए। अदालत ने कहा कि इसका समाधान सरकारों के पास है न कि न्यायालय के पास। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि उन्हें (किसानों) विरोध करने का अधिकार है लेकिन सड़कों को अनिश्चित काल के लिए अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘आप सभी इसका समाधान क्यों नहीं निकालते। किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन सड़कों पर आवाजाही को अवरूद्ध नहीं किया जा सकता।

जस्टिस कौल ने मेहता से कहा, ‘आपको समाधान खोजना होगा। समाधान, केंद्र और संबंधित राज्यों के हाथों में है। सुप्रीम कोर्ट नोएडा निवासी एक महिला मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में किसानों का विरोध के कारण नोएडा से दिल्ली आने जाने में हो रही परेशानी का मसला उठाया गया है। सोमवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता मोनिका अग्रवाल उपस्थित नहीं हुई, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 20 सितंबर तक के लिए टाल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘इस मसले का समाधान केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों के पास है। अगर प्रदर्शन जारी है तो किसी भी तरीके से यातायात को अवरूद्ध नहीं किया जाना चाहिए जिससे लोगों को आने-जाने में कोई परेशानी न हो। इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि वह किसानों को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसलों के अनुसार सड़कों को अवरुद्ध करके विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं है। किसानों को कहा जा रहा है कि सड़कों को अवरुद्ध करना अवैध है।

नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि सड़कें बंद होने के कारण उन्हें दिल्ली जाने में 20 मिनट की जगह दो घंटे लगते हैं। गत 30 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया था। मोनिका ने याचिका में कहा कि मार्केटिंग जॉब के कारण वह दिल्ली आती-जाती रहती हैं। उनका कहना है कि शीर्ष अदालत ने कई बार आदेश पारित किया है कि लोगों को आने-जाने के लिए सड़कें खाली होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। मोनिका का कहना है कि वह सिंगल पैरेंट हैं और कुछ चिकित्सकीय समस्याएं भी है। उसका कहना है कि नोएडा से दिल्ली जाना एक बुरे सपने की तरह है।