International Trade Fair 2022: काला नमक चावल से लेकर जालीदार हाथी तक, सबकुछ मिल जाएगा हॉल नंबर 5 में
नई दिल्ली। प्रगति मैदान में इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर चल रहा है। ट्रेड फेयर में प्रत्येक स्टेट के पवेलियन बने हुए हैं। यहां भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय का भी एक पवेलियन है जिसमें एक तरफ काला नमक चावल है, तो एक ओर बनारस से आए कलाकारों द्वारा पत्थर पर बनाई गईं कलाकृतियां। हर तरफ रंग बिरंगे परिधान, हर राज्यों से आए कलाकार और दुकानदार। कुछ ऐसा ही नजारा है प्रगति मैदान में चल रहे इंटरनेशनल ट्रेड फेयर के हॉल नंबर 5 का. हॉल नंबर पांच जीआई पवैलियन में केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की योजना जीओ टैगिग के तहत देश भर से वैसे कलाकारों या शिल्पीकारों को बुलाया गया है जिनका उत्पाद देखते ही बनता है. किसी ने एक पत्थर से जालीदार हाथी बना दी है, तो कोई एक लकड़ी पर अलग अलग तरह की कलाकृतियां बनाए है. बनारस से यहां आए आशीष, लकड़ी की कलाकृतियां दिखाते हुए बताते हैं कि यह कहीं अन्य जगहों पर नहीं मिलेगी। यह सिर्फ हमारे बनारस में बनता है. वह भी अब सीमित कलाकार रह गए हैं. पहले जहां कई सौ लोग इस कारोबार से जुड़े थे, वहीं अब गिने चुने लोग ही बनाते हैं. आशीष कहते हैं जिस लकड़ी पर वह अशोक स्तम्भ से लेकर तरह तरह की कलाकृतियां बनाते हैं वह लकड़ी असम से आती है. अब उसकी भी आवक कम होने लगी है. ऐसे में यह कम बन रहा है.
नाम है काला नमक लेकिन है सफेद इसी तरह यहां सिद्धार्थनगर से आएं विजय मिश्रा बताते हैं कि काला नमक चावल देखने में सामान्य है, सफेद है, लेकिन इसका नाम काला नमक है और इसका उत्पादन बिना किसी केमिकल या खाद के किया गया है. इसकी बुआई जुलाई में होती है और कटिंग दिसंबर जनवरी में होने से उस खेत में गेहूं की बुआई नहीं हो पाती इसलिए वह एक ही फसल का उत्पादन करते हैं इसलिए लागत अधिक आती है.
वाणिज्य मंत्रालय के पवेलियन 109 स्टॉल वाणिज्य मंत्रालय के डीपीआईआईटी विभाग के उप सचिव ए एम कुमार ने बताया कि यह पवेलियन वाणिज्य मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ प्रोमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटर्नल ट्रेड ने लगाया है। यहां देश भर से 109 पेशावरों को बुलाया गया है इन सभी के रहना खाना और स्टॉल पूरी तरह निशुल्क है इसके जरिये सरकार की मंशा हस्तशिल्प, हथकरघा स्वदेशी उद्योग धंधों को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने बताया कि मई 2020 में प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के लिए जो संदेश दिया था उसके बाद जो प्रयास किए गए हैं जीआई टैगिंग भी उन्हीं में से एक है। सरकार की इस योजना से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो गई है, अब उत्पादक सीधा अपना उत्पाद बेच सकता है.