LG बैजल ने केजरीवाल सरकार से मांगी रिपोर्ट

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नई दिल्ली। दिल्ली में बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) कॉरिडोर का मामला फिर से तूल पकड़ सकता है। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार से सिर्फ बसों के परिचालन के लिए बनाए गए बीआरटी कॉरिडोर को तोड़ने के फैसलों से संबंधित फाइलें मांगी हैं।

कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में १८० करोड़ की लागत से मूलचंद से अंबेडकर नगर तक बनाए गए बीआरटी को तोड़ने में ११ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। उपराज्यपाल ने परिवहन विभाग से विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है कि कॉरिडोर को तोड़ने में नियमों का पालन किया या नहीं।

उपराज्यपाल के इस आदेश से राजभवन और दिल्ली सरकार के बीच प्रशासनिक टकराव एक बार फिर उभरकर सामने आने की आशंका बढ़ गई है।

पिछले साल जुलाई में दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई ने बीआरटी तोड़ने के काम में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत मिलने पर लोक निर्माण और परिवहन विभाग के कार्यालयों पर छापेमारी भी की थी।

२००८ में मूलचंद से अंबेडकर नगर के बीच बीआरटी कॉरिडोर जब से अस्तित्व में आया है, विरोध ही हो रहा था। ६ किमी से भी कम दूरी के इस कॉरिडोर को जाना तो कश्मीरी गेट तक था मगर वहां तक गलियारा गया ही नहीं।

आम आदमी पार्टी की सरकार सत्ता में आई तो कैबिनेट ने बीआरटी को तोड़ने के फैसले को मंजूरी दे दी। पिछले साल जनवरी में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे तोड़ने के काम को हरी झंडी दिखाई थी। लोक निर्माण विभाग को ३ महीने के भीतर यानी ३१ मार्च २०१६ तक बीआरटी कॉरिडोर को तोड़ने के आदेश दिए थे।

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