तो क्या एक बार फिर मंडरा रहा है मंदी का खतरा

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भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती

भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर को लेकर कई बातें कहीं जाती रहीं हैं। जैसे कि जब 2008-09 में समूचे विश्व को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा था तो उस वक्त भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने खुद को सम्भाले रखा रहा।

ऐसे ही हालात का लगता है कि एक बार फिर से देश को सामना करना पड़ेगा क्योंकि आईएमएफ ने 11 अक्टूबर 2022 को एक आंकड़ा जारी किया जिसके अनुसार 2023 में पूरा विश्व जगत एक बार पुनः वैश्विक मंदी का सामना करना पड़ सकता है।

इसकी प्रमुख वजहों में से एक रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 से चल रहा युद्ध भी है क्योंकि रूस यूरोपीयन देशों में प्राकृतिक गैस सप्लाई करता है। कोविड की वजह से अभी भी वैश्विक अर्थव्यवस्था पूरी तरह उबर नहीं पाई थी तबतक पहले सूखे की मार ने और अब बेमौसम बरसात ने अर्थव्यवस्था के लिए विकट हालात उत्पन्न कर दिए हैं।

2 सितम्बर 2022 को भारत के लिए आर्थिक मोर्चे पर अच्छी खबर आई थी। ब्रिटेन को पछाड़कर भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था। बता दें कि एक दशक पहले भारत सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में 11वें क्रम पर था, जबकि ब्रिटेन पांचवें नंबर पर था।

भारत ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए जीडीपी के आधिकारिक आंकड़े जारी किए थे। आंकड़ों से मालूम चलता है कि भारत दुनिया में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि हासिल करने वाली अर्थव्यवस्था है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के अगले दो वर्षों तक दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने का अनुमान है। 2022-23 में यह नौ फीसदी और 2023-24 में 7.1 फीसदी दर से आगे बढ़ सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वैश्विक जीडीपी की वृद्धि अनुमान पर कहा, वैश्विक विकास दर 2022-23 में 4.4 फीसदी और 2023-24 में 3.8 फीसदी रह सकती है।

आईएमएफ के आंकड़े के अनुसार भारत की जीडीपी ग्रोथ 2023 में 6.1 फीसदी रहने की उम्मीद है। तो वहीं वैश्विक महंगाई दर 9.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष की पहली पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत रही जो पिछले एक साल में सबसे अधिक थी। वहीं, सालाना आधार पर भी भारत की जीडीपी में उछाल आने की संभावनाएं हैं।

भारत की ग्रोथ के आगे चीन आसपास भी नहीं है। अप्रैल-जून तिमाही की चीन की वृद्धि दर 0.4 प्रतिशत रही है। तमाम अनुमान बता रहे हैं कि सालाना आधार पर भी भारत के मुकाबले चीन पीछे रह सकता है। वहीं, ब्रिटेन की बात करें तो उसकी मुश्किलें आने वाले समय में और बढ़ सकती है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने बताया है कि भारत इस साल सालाना आधार पर डॉलर के मामले में ब्रिटेन से आगे निकल गया है।

विकसित देशों की वृद्धि दर 3.9 फीसदी और 2.6 फीसदी रह सकती है। उभरते और विकासशील देशों की विकास दर 4.8 फीसदी और 4.7 फीसदी रह सकती है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था चार फीसदी और 2.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ सकती है।

आर्थिक स्थितियां जैसी भी रहें लेकिन भारत के लिए अन्य देशों के मुकाबले यह थोड़े राहत का समय है। वर्तमान समय में भारत विश्व की सबसे तेज बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है लेकिन नीतियां बनाने का कार्य सरकार का है। और आर्थिक मामले नीतियों पर पूरी तरह से निर्भर रहते हैं।

दिव्येन्दु राय
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