सड़कों पर ‘भीड़’ की हकीकत और ‘कोरोना की दहशत’
इस भीड़ ने देश और प्रधानमंत्री पीएम मोदी की लॉक डाउन की अपील पर पानी फेर दिया। इन लोगों को भी तनिक ये समझ नहीं आया कि कोरोना से बचने का उपाय क्या सुझाया गया है। कई देशों का क्या हश्र हो रहा है लेकिन इस देश के लोगों की अलग अलग समस्यायें हैं। 45 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में मजदूरी और रोजमर्रा का काम करते हैं। इनकी तरफ किसी सरकार ने नही सोचा। सबको वोट अगड़ी पिछड़ी हिन्दू मुसलमान में देखने की आदत सी हो गई है।
खैर लॉकडाउन हुआ तो इनके ऊपर रोजी रोटी का संकट मंडराने लगा। एक चला तो देखा देखी दूसरा चला तीसरा भी चल दिया। कुछ गड़बड़ उनलोगों ने भी किया जिनके पास ये लोग काम करते थे, उन्होंने भी इन्हें इनके हाल पर छोड़ दिया। उसके बाद उन सरकारों और स्थानीय प्रशासन भी आंखे बंद कर ली और जब हल्ला मचा तब जागा तब तक देर हो चुकी थी और ये लोग कारवां में तब्दील हो चुके थे। जाहिर सी बात है इसमें सर्वाधिक लोग यूपी बिहार के हैं और ये किसी एक प्रदेश से नहीं आ रहे बल्कि दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान सब जगहों से निकल पड़े हैं। जब लोग निकले तो यहां की सरकारें सो रहीं थी, समय रहते इनलोगों को रोककर व्यवस्थाएं दीं गईं होती तो ये हाल न होता।
इस भीड़ को पैदल चलता देख सबसे पहले हरकत में आई योगी सरकार और तुरंत इनके लिए कई तरह की घोषणाएं की।इसी तरह दिल्ली सरकार ने भी इन यात्रियों के रुकने और खाने की व्यवस्थायें कीं। बार बार इन दोनों सरकारों ने लोगों से अपील की। योगीजी ने यहां तक किया कि इनलोगों के लिए बसें तक चलवाने की व्यवस्था कर डाली। लोग यूपी बॉर्डर पहुँचने लगे। ऐसे में दिल्ली में रहने वाले लोग भी उतावले हो गए और उनको भी गांव याद आ गया और लोग सड़कों पर निकल गए।
केजरीवाल सरकार ने बसों में बैठाकर बस स्टैंड तक छुड़वा दिया। बस यहाँ जमघट लग गया। अगर सबसे निकम्मी सरकार निकली तो वह हरियाणा सरकार है उसने न तो वहां लोगों के रुकने की अपील की न कोई व्यवस्था। अब स्थिति को संभालना मुश्किल हो रहा है। लोगों को भी इस बात को समझना होगा कि जहां हैं वहां रुकें प्रशासन लगा है और सच में सबसे काबिले तारीफ काम योगी आदित्यनाथ सरकार कर रही है जो लोगों के लिए हर व्यवस्था करने में जुटी है।
धीरज राय (लेखक)
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