भ्रष्टाचार और बिजली के दाम कम कर बढ़ाया जाये औद्योगिकरण- aap पार्टी
भोपाल। केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश ने आज तीन निजी कंपनियों के साथ रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना बनाने का समझौता किया है। बड़े-बड़े विज्ञापनों में यह बताया जा रहा है कि इस परियोजना से बनने वाली बिजली की कीमत २.९७ रु प्रति यूनिट होगी। आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा कि एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान सरकार मध्य प्रदेश की जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।
आम आदमी पार्टी का मानना कि सरकार को इस परियोजना से संबंधित विद्युत क्रय समझौता एवं अन्य सभी दस्तावेज सार्वजनिक करने चाहिए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इसमें छुपी हुई कीमत तो नहीं है और वास्तविकता क्या है। मध्यप्रदेश में वर्तमान में कुल उपलब्ध बिजली १७५०० मेगा वाट है जबकि हमारी मांग मात्र ८००० मेगा वाट है, दुगनी से अधिक सरप्लस बिजली होने के कारण या तो हमने अपने प्लांट बंद कर रखे हैं या हम इस बिजली दूसरे राज्यों में सस्ते दामों पर बेच रहे हैं, अतः हम शिवराज सिंह चौहान से जानना चाहते हैं इस परियोजना की जरूरत ही क्या है जब इसके बनने के बाद भी इसकी बिजली का उपयोग मध्यप्रदेश में नहीं हो पाएगा।
संयोजक आलोक ने कहा कि इस वर्ष के विद्युत नियामक आयोग के टैरिफ आदेश में कहा है कि २.६० रु/यूनिट से ज्यादा यूनिट वाले प्लांट से कोई बिजली नहीं खरीदी जाएगी। जिस कारण हम जे. पी. बीना, झाबुआ पावर, सिंगाजी चरण १ से एक भी यूनिट बिजली खरीदे बिना आम जनता के १७५५ करोड़ रुपये देने पड़ेंगे। अगर यह मान भी लें कि इस परियोजना से २.९७ रु/यूनिट बिजली मिलेगी तब भी यह २.६० रु/यूनिट से महंगी होने के कारण मध्य प्रदेश के लोगों उपयोग नहीं कर पाएंगे और बाहर बेचने पर ३७ पैसे प्रति यूनिट के नुकसान का बोझ आम जनता पर पड़ेगा।
आम आदमी पार्टी का मानना है आज मध्यप्रदेश में उत्पादन नहीं, खपत बढ़ाने की जरूरत है। मध्य प्रदेश में फैले व्यापक भ्रष्टाचार और महंगी बिजली के कारण उद्योग मध्य प्रदेश से बाहर जा रहे है। उद्योगों की संस्था एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में २००८-२०१५ के बीच औद्योगिक निवेश में ७६ % की कमी आई है और २०१५-१६ में किये गये करारों में ८६% सिर्फ कागजों पर हैं। अतः आप पार्टी का कहना है कि जो हमने गैरकानूनी समझौते किए हैं उन्हें रद्द किया जाना चाहिए।
बिना बिजली खरीदे जो हम आम जनता का करोड़ो रूपया दे रहे हैं उसे बंद किया जाना चाहिए और जरूरत है कि मध्यप्रदेश के लोगों और उद्योगों के लिए बिजली के दाम आधे किए जाए ताकि लोगों को राहत मिले और हमारी सरप्लस बिजली की खपत बढ़े।