सेवा की विश्वसनीयता के लिए निरंतर आत्मविश्लेषण करें

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भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सिविल सर्विस की विश्वसनीयता एवं प्रतिष्ठा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिये निरंतर आत्मविश्लेषण की प्रक्रिया चलती रहे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रशासनिक सुधारों के लिए मंथन की प्रक्रिया फिर से शुरू की जायेगी। श्री चौहान आज प्रशासनिक अकादमी में सिविल सर्विस डे के अवसर पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

श्री चौहान ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था को बनाए रखने में सिविल सेवा का योगदान महत्वपूर्ण है। उपलब्धियाँ बहुत है। अवसर आत्म विश्लेषण का है। जनहित में और बेहतर कैसे किया जा सकता है इस पर चिंतन की आवश्यकता है। फैसले तेजी से, ताकत से लिये जायें। उनके लाभ अंतिम कड़ी तक पहुँच जाये। प्रक्रियाओं के निर्माण में उनके जमीनी क्रियान्वयन पर भी ध्यान दिया जाये।

पात्र व्यक्ति को समय पर, बिना भागदौड़ के सरकार की योजनाओं का लाभ मिले। उन्होंने सुशासन के प्रयासों की बेहतर मॉनीटरिंग और मानवीय सोच के साथ कार्य की जरूरत बताई। ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुये कहा कि अब सिविल सेवा शासन, नहीं जनता की सेवा है। सुविधाएँ, विशिष्टताएं सब उनके कल्याण के प्रयासों के लिए ही है। गरीबों के हित पर फोकस करते हुये ऑऊट ऑफ बॉक्स थिंकिंग जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने भगवद् गीता के श्लोक का संदर्भ देते हुए कहा कि सात्विक कार्यकर्ता की विशिष्टताओं का निरंतर स्मरण करते रहें। इससे जीवन और बेहतर होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि लोक सेवक पर प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता की जवाबदारी है। सिविल सर्वेंट अपनी प्रतिभा, क्षमता और परिश्रम का सर्वश्रेष्ठ उपयोग जनसेवा में करें।

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपनी टीम के सदस्यों को बेहतर से बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करें। सफलताओं का श्रेय उन्हें दें। हर विभाग उत्कृष्ट कार्य करने वालों को पुरस्कृत करने की योजना बनाएँ। उन्होंने अंर्तविभागीय समन्वय, सुशासन प्रयासों की प्रभावी मानीटरिंग, फाइल ट्रेकिंग सिस्टम को प्रभावी बनाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि सिविल सेवा को अपने देश, समाज और लोगों के लिए कुछ करने का अवसर मानना चाहिये। उन्होंने सिविल सेवा के ध्येय वाक्य का स्मरण कराते हुये कहा कि हर लोक सेवक उस पर अमल करे तो व्यवस्था बेहतर बनाने का काम बहुत आसान हो जायेगा।

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