दिग्विजय ने पूछा, राम-मंदिर ट्रस्ट में अपराधियो का क्या काम!
भोपाल। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री के एक पत्र ने प्रदेश सहित देशभर में राजनीति को गर्मा दिया है। सिंह ने राम मंदिर ट्रस्ट के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा। उन्होंने ट्रस्ट के गठन और इसमें किसी प्रमाणित शंकराचार्य को शामिल ना करने पर सवाल उठाए हैं। साथ ही कहा कि एक धार्मिक ट्रस्ट में अपराधी और सरकारी लोगों का क्या काम।
प्रधानमंत्री मोदी को लिखे खत में दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान रामालय ट्रस्ट का गठन किया जा चुका है। इसलिए मंदिर के लिए दोबारा ट्रस्ट बनाने का औचित्य क्या है। उन्होंने नये ट्रस्ट में किसी प्रमाणित शंकराचार्य को शामिल ना करने पर भी सवाल उठाए। दिग्विजय सिंह के मुताबिक, वासुदेवानंद को शंकराचार्य के तौर पर शामिल किया जाना गलत है क्योंकि उन्हें कोर्ट के फैसले के बाद पद से हटाया जा चुका है।
शंकराचार्य को अध्यक्ष बनाना चाहिए
दिग्विजय सिंह ने सुझाव दिया है कि सनातन धर्म के पांच शंकराचार्यों में से किसी एक को राम मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाना चाहिए था। ट्रस्ट में शामिल कुछ और नामों पर भी दिग्विजय सिंह को आपत्ति है। उनका कहना है ऐसे लोगों को ट्रस्ट में रखा गया जो बाबरी मस्जिद प्रकरण में आरोपी हैं। उन्होंने ट्रस्ट में सरकारी अधिकारियों को मनोनीत को भी गलत बताया। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के अयोध्या में भगवान राम की भव्य मूर्ति बनाने के ऐलान पर भी दिग्विजय सिंह ने लिखा कि उनकी यह घोषणा सनातन धर्म की परंपराओं के खिलाफ है।
4 नामों पर आपत्ति
दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में चार नामों पर आपत्ति जताई है। ये हैं विहिप के प्रांतीय उपाध्यक्ष चंपत राय। अयोध्या में होम्योपैथिक डॉक्टर हैं और आरएसएस के प्रांत कार्यवाहक अनिल मिश्रा, बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता कामेश्वर चौपाल और संघ के पुराने प्रचारक रहे गोविंद देव गिरि। जब पूर्व में ही भगवान श्री रामचंद्रजी के मंदिर निर्माण के लिए रामालय ट्रस्ट मौजूद है तो पृथक से ट्रस्ट बनाने का कोई औचित्य नहीं है। जो नया ट्रस्ट गठित किया गया है उसमें किसी भी प्रमाणित जगतगुरु शंकराचार्य को स्थान नहीं दिया है।
श्री वासुदेवानंद जी जिन्हें शंकराचार्य के नाम से मनोनीत किया गया है वह न्यायपालिका द्वारा पृथक किए गए हैं। उनके बारे में द्वारका और जोशीमठ के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद ने अपने वक्तव्य में जो कहा है वह संलग्न है। देश में सनातन धर्म के पांच शंकराचार्य के पीठ हैं। उनमें से ही ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाना उपयुक्त होता, जो नहीं हुआ।
दान का हिसाब कहां
भगवान श्री रामचंद्र का भव्य मंदिर का निर्माण हो इस आंदोलन में करोड़ों लोगों ने भाग लिया था और भारी मात्रा में चंदा दिया। इसका हिसाब आज तक जनता के सामने नहीं रखा गया। जब आयकर विभाग का नोटिस दिया गया था। उस समय नोटिस देने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई हो गई थी। जिन करोड़ों दानदाताओं ने मंदिर निर्माण के लिए दान दिया है, उसका 28 वर्षों का ब्याज सहित हिसाब उन्हें मिलना चाहिए।
आरएसएस रामचंद्र को भगवान नहीं माना
दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में कहा कि आरएसएस भगवान श्री रामचंद्र जी को भगवान का अवतार नहीं मानती उन्हें मर्यादा पुरुष ही मानती है और उनका स्मारक बनाना चाहती है। सनातन धर्म में भगवान रामचंद्र भगवान के अवतार हैं। यह करोड़ों लोगों की आस्था है।
योगी के मूर्ति लगवाने पर ऐतराज
दिग्विजय सिंह ने लिखा- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में भगवान राम की एक भव्य मूर्ति बनाने की घोषणा की है। वह भी सनातन धर्म की परंपराओं के विपरीत है। क्योंकि जो मंदिर में दैनिक सेवा होती है वह 220 मीटर ऊंची मूर्ति की कैसे हो सकती है? उसमें चिडिय़ा आदि पक्षी गंदगी कर सकते हैं।अत: उस योजना पर भी पुनर्विचार करना चाहिए। भगवान श्री राम मंदिर के निर्माण के लिए आपके द्वारा स्वीकृत ट्रस्ट को जिम्मेदारी ना देकर रामालय ट्रस्ट को ही जिम्मेदारी देनी चाहिए। रामालय ट्रस्ट ने मुझे अवगत कराया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए सरकार से एक भी पैसा नहीं लेंगे।