किसान अपनी मर्जी से बेच सकेंगे फसल
भोपाल। राजधानी के भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को नए कृषि कानूनों के फायदे समझाते हुए कहा कि देश भर का किसान अपनी फसल को मर्जी से कहीं पर भी बेच सकेगा। वैज्ञानिकों ने कृषकों के हित में भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों एवं नए कृषि कानूनों के बारे में जानकारी दी गई। भोपाल समेत आसपास के किसानों को विभिन्न जानकारी से अवगत कराया गया। इसे लेकर परिचर्चा भी हुई।
परिचर्चा में संस्थान के निदेशक डॉ. एके पात्र ने कहा कि भारत सरकार द्वारा कृषकों की आवश्यकताओं और सुविधाओं के अनुरूप अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन प्राथमिकता से किया जा रहा है। किसान अपनी फसल को मर्जी से अपने राज्य या अन्य राज्यों में खरीद एवं बेच सकते हैं। जिससे वे फसल का उचित मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में कृषि और किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून परिवर्तन लाने वाले साबित होंगे।
अभी तक आजादी के बाद कृषि क्षेत्र में इस तरह का बदलाव देखने को नहीं मिला। हालांकि कुछ राज्यों के किसानों में इस बात को लेकर भ्रम है कि इस कानून से कृषि पर गलत प्रभाव पड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं है। न तो सरकारी मंडियां खत्म होंगी और न ही किसानों की जमीन निजी हाथों में जाएंगी।
नए कानून से किसानों की आय बढ़ेगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। डॉ. पात्र ने आगे कहा कि कुछ किसानों और संगठनों के बीच यह मिथक कायम है कि इन कृषि सुधार कानूनों से किसानों के हित पर चोट पहुंचेंगी, किंतु ऐसा बिल्कुल नहीं है। किसानों की इच्छा के विपरीत कोई भी उनकी खेतीबाड़ी को छू नहीं पाएगा। विवादों के निपटारे के लिए स्थानीय स्तर पर ही व्यवस्था की गई है।
किसानों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ भी मिलता रहेगा। उन्होंगे बताया कि नए कानून से बिचौलिया के हाथ जाने वाली धनराशि पर अंकुश लगेगा, जिसका फायदा किसानों को सीधे मिलेगा। किसानों के पास तमाम तरह के विकल्प होंगे। किसान नए कानून को अपनाने में किसी भी तरह की हिचकिचाहट न दिखाएं। इससे उन्हें दूरगामी लाभ मिलेगा।
नए कानून से किसान सर्वश्रेष्ठ मूल्य देने वाले खरीददार को मंडी के बाहर भी उपज बेच सकते हैं। उसके लिए उन्हें न तो पंजीकरण की जरूरत होगी, न ही किसी भी तरह के शुल्क देने की जरूरत रहेगी। मंडी व्यवस्था पहले की तरह ही यथावत रहेगी।