MP: भाजपा से सोलंकी-सिंधिया आज भरेंगे नामांकन
भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब प्रोफेसर डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी मध्य प्रदेश से बीजेपी के दूसरे राज्यसभा उम्मीदवार होंगे। भाजपा ने राज्यसभा के लिए अपने दोनों प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं। बुधवार को कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया तो पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया था और गुरूवार को सुमेर सिंह के नाम का ऐलान किया। वो वनवासी कल्याण परिषद से जुड़े हैं। वो बड़वानी में पदस्थ हैं लेकिन आदिवासियों के बीच जागरुकता लाने के लिए जाने जाते हैं।
सुमेर सिंह सोलंकी पहली बार किसी चुनाव के लिए मैदान में उतरे हैं। 45साल के लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा से जुड़े हुए हैं। उनका परिवार जनसंघ के समय से ही पार्टी से जुड़ा हुआ है।
खरगोन-बड़वानी से लोकसभा के पूर्व सांसद मकनसिंह सुमेर सिंह सोलंकी के काकाजी हैं। काकाजी के सांसद होने के कारण सुमेर सिंह सोलंकी अपने क्षेत्र के विकास के लिए काम करते रहे हैं। वो भले ही पहली बार किसी पद के लिए दावेदार बनाए गए हों, लेकिन बीते 20 साल से काका से राजनीति की बारीकियां जरूर सीखते रहे हैं।सुमेर सिंह सोलंकी वनवासी कल्याण परिषद में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
- प्रोफेसर हैं सुमेर सिंह सोलंकी
प्रोफेसर डॉ.सुमेर सिंह सोलंकी वर्तमान में शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बड़वानी में वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर हैं। वो 2005 में मप्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर अस्सिटेंट प्रोफेसर बने। पहली पदस्थापना 2005 में नीलकंठेश्वर शासकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय खंडवा में हु।सुमेर सिंह सोलंकी ने आपदा प्रबंधन संस्थान नई दिल्ली और भोपाल में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में प्रशिक्षण लिया हुआ है।अब तक वो 30से ज्यादा राष्ट्रीय शोध सेमिनारों में शोधपत्र पढ़ चुके हैं। - स्थानीय बोलियों में अनुवाद
सुमेर सिंह सोलंकी अनुसूचित जाति जनजाति से आते हैं। खरगोन बड़वानी क्षेत्र में 65 फीसदी जाति बरेला की है। ऐसे में खरगोन-बड़़वानी के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में बरेला समाज के लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए औऱ कुरीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का काम उन्होंने किया है।शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को हर एक व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए स्थानीय बोलियों में सुमेर सिंह सोलंकी ने अनुवाद किया। ऑडियो औऱ पंपेलेट तैयार कर जनजातीय परिवारों तक पहुंचाकर जागरूकता लाने का काम वो कर रहे हैं।साल 2005 से 2011तक सोलंकी अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद में एक्टिव रहे। समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए राज्य सरकार उन्हें कई पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है।