खंडवा और जोबट सीट पर आदिवासी तय करेंगे जीत
आदिवासियों को लुभाने के लिए भाजपा-कांग्रेस ने लगाई वादों की झड़ी
भोपाल। मध्यप्रदेश की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख नजदीक आती जा रही है। वैसे-वैसे राजनीतिक दलों का प्रचार तेज होता जा रहा है। प्रदेश की सियासत में आदिवासी वोट बैंक सबसे अहम माना जाता है। खास बात यह है कि चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव में खंडवा लोकसभा सीट और जोबट विधानसभा सीट पर आदिवासी वोट बैंक की अहम भूमिका है।
लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल आदिवासियों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। शिवराज सरकार ने जहां आदिवासियों के लिए कई लोकलुभावन वादे कर दिए हैं तो कांग्रेस कमलनाथ सरकार के दौरान किए गए कामों को लेकर मैदान में है। ऐसे में दोनों सीटों पर अब मुकाबला दिलचस्प होता नजर आ रहा है।
दरअसल, मध्यप्रदेश में आदिवासी समुदाय का सरकार बनाने और गिराने में अहम योगदान रहता है, क्योंकि प्रदेश की 48 विधानसभा सीटें इसी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। जोबट विधानसभा सीट तो आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है ही, जबकि खंडवा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। जिनमें से 3 विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में है।
ऐसे में दोनों पार्टियों की नजर इस वर्ग के वोटर पर है क्योंकि जिस पार्टी के पक्ष में आदिवासी वर्ग ने वोट किया उसकी जीत के चांस बढ़ जाएगे। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस इस वोट बैंक को साधने में जुटी हुई हैं।
भाजपा की रणनीति
बात अगर भाजपा की जाए तो भाजपा जानती है कि खंडवा और जोबट का रण जीतना है तो आदिवासियों को साधना होगा। भाजपा नेता नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह जबलपुर पहुंचे थे और उन्होंने जनजातीय नायक शंकर शाह और रघुनाथ शाह की 164 वी सालगिरह के कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
शिवराज सरकार ने दमोह में आयोजित जनजातीय सम्मेलन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आमंत्रित किया था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में शंकर शाह रघुनाथ शाह पर केंद्रित संग्रहालय बनाने की घोषणा कर चुके हैं तो वही सीएम ने ऐलान किया है कि सरकार आदिवासियों को रोजगार देने और सशक्त करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। भाजपा का दावा है कि आदिवासियों की सच्ची हितैषी भाजपा है और आदिवासी समाज हमारे साथ है।
कांग्रेस का प्लान
वहीं आदिवासी वोटरों को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि 2018 में आदिवासी वोट बैंक ने कांग्रेस का समर्थन किया था और पार्टी एक बार फिर सत्ता में वापस आई थी। वहीं कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के दौरान आदिवासी हितों के किए गए कामों को लेकर वोट मांग रहे हैं, कमलनाथ ने अपनी सरकार रहते आदिवासियों का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। कांग्रेस पूरे प्रदेश में आदिवासी अत्याचार का मामला भी जोर शोर से उठाती आई है। ऐसे में इस बार भी आदिवासी वर्ग कांग्रेस को समर्थन करेगा।
आदिवासी वोटर माने जाते हैं सत्ता की कुंजी
मध्य प्रदेश की राजनीति में आदिवासी वर्ग सत्ता की कुंजी माना जाता है। इसकी वजह ये है कि राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति यानी कि आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं। सामान्य वर्ग की 31 सीटों पर भी आदिवासी समुदाय निर्णायक भूमिका में है। यही वजह है कि दोनों ही पार्टियां भाजपा और कांग्रेस, आदिवासी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जुटी हैं।